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Thursday, January 21, 2021

मुंथा की गणना | मुंथा राशि | Effect of Muntha | वर्ष कुण्डली

 मुंथा की गणना

मुंथा राशि- वर्ष कुंडली में मुंथा राशि का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। लग्न संख्या में जातक की वर्तमान आयु के वर्ष जोड़कर 12 से भाग देने पर जो शेष बचे वही मुंथा राशि होती है।

1.जिन वर्षों के लिए मुंथा की गणना करनी होती है जन्म से उन पूरे वर्षों की संख्या को लग्न की संख्या से जोड़ देना होता है. यदि यह जोड़ 12 वर्ष से अधिक आता है तो इसे 12 से भाग दिजिए और जो शेष संख्या आए उसी में मुंथा स्थित होगी. यदि शेष संख्या शून्य आती है तो इसे बारहवीं राशि कहेंगे.

Calculation of Muntha

2. मुंथा की अशुभ स्थिति- वर्ष लग्न कुंडली में यदि मुंथा वर्षलग्न से 4,6,7,8,12 वें स्थित हो तो यह अशुभ होती है। यदि मुंथा राशि पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो यह विशेष अशुभ व हानिकारक होती है।

3. राहु-केतु युक्त मुंथा- यदि मुंथा राहु-केतु से युक्त तो अशुभ फ़लदायक होती है।

4. मुंथेश- वर्ष कुंडली में मुंथा राशि का स्वामी ग्रह मुंथेश कहलाता है। मुंथेश यदि 4,6,8,12 भाव में अस्त, वक्री या पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो यह अशुभ होता है। मुंथेश यदि वर्षलग्न से अष्टमेश से युत व दृष्ट हो तो यह विशेष हानिकारक होता है।

5. वर्षकुंडली में जन्म लग्नेश की स्थिति- वर्षकुंडली में यदि जन्मकुंडली का लग्नेश निर्बल, अष्टम या सूर्य आदि क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।

-मुंथेश यदि वर्ष कुंडली में अस्त होकर शनि द्वारा दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक का सर्वनाश, मानसिक कष्ट व भयंकर रोग से ग्रस्त होने की संभावना होती है।

6. वर्षलग्न- वर्षलग्न यदि जन्मलग्न या जन्मराशि से अष्टम राशि का हो तो उस वर्ष जातक को भीषण कष्ट व रोग होने की संभावना होती है।

7. वर्षकुंडली में चन्द्र की स्थिति- वर्षकुंडली में यदि चन्द्र 1,6,7,8,12 भाव में पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक का प्रबल अरिष्ट होता है। जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट या मृत्यु होने की संभावना होती है।

-यदि वर्षकुंडली में चन्द्र मंगल से दृष्ट हो अग्नि के द्वारा, यदि राहु-केतु से दृष्ट हो तो शत्रुओं के द्वारा, सूर्य से दृष्ट हो तो आर्थिक हानि के कारण जातक को कष्ट होता है।

-यदि वर्षकुंडली में चन्द्र गुरु से दृष्ट हो तो शुभफलदायक होकर अशुभता में कमी करता है।

मुंथा का प्रभाव | Effect of Muntha

वर्ष कुण्डली में जन्म कुण्डली के लग्न की भांति मुंथा अत्याधिक महत्वपूर्ण होती है. वर्ष के फल तभी शुभ होंगे जब मुंथेश उच्च युक्त या स्वराशि से युक्त हो.

मुन्थेश शुभ ग्रहों से युक्त या उनसे प्रभावित है तो परिणाम अच्छे प्राप्त हो सकते हैं.

मुन्था 2, 9 10, 11 भाव में स्थित होने पर आर्थिक पक्ष की मजबूती को दर्शाती है. यह अच्छी व्यवसायिक स्थिति को दर्शाता है.

मुन्था की विपरित स्थिति | Conflicting situations of Muntha

भाव 4, 6, 8, 12 और सप्तम भाव में मुन्था अच्छी नहीं मानी जाती यह अशुभ परिणामदायक हो सकती है. इस प्रकार यदि मुन्था षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश युक्त हो तो शुभ परिणाम प्रदान करने वाली होती है.

मुन्थेश यदि नीच का हो या नीचता से युक्त हो अथवा पिड़ित, निर्बल या शत्रु भाव में स्थित हो तो यह शुभ परिणाम प्रदान नहीं करता है.

मुन्था यदि क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो विपरित फल प्रदान करती है.