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Friday, June 10, 2022

धनु लग्न और कष्ट निवारक उपाय

 

धनु लग्न और कष्ट निवारक उपाय




आर्थिक समस्या निवारण हेतु:-
यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके लिए सर्वप्रथम शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश जी की चाँदी की एक प्रतिमा, एकादश मुखी रूद्राक्ष और 125 ग्राम पंचमेवा लाल वस्त्र में बाँधकर अपने घर अथवा कार्यस्थल की अल्मारी/तिजोरी में रखें. तत्पश्चात एक वर्ष तक नियमपूर्वक प्रत्येक पूर्णिमा के दिन " ॐ पूषन तवव्रते भयं नरिष्येम कदाचन स्तोतारस्त इहम्भसि !! ॐ पूष्णे नम: " मन्त्र के जाप पश्चात गाय का कच्चा दूध किसी निर्धन व्यक्ति को अवश्य दान किया करें.

केवलमात्र सिर्फ एक इसी उपरोक्त उपाय के करने से ही आप देखेंगें कि जहाँ आपकी आमदनी के स्त्रोत खुलने लगे हैं, वहीं सामाजिक संबंधों में भी मधुरता की अभिवृद्धि होने लगी है. इसके अतिरिक्त यदि आपको व्ययाधिक्य के कारण किन्ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड रहा हो, तो उसकी निवृति के लिए घर के पूजनस्थल पर चाँदी में निर्मित श्री यन्त्र स्थापित करें एवं उस पर लगातार 43 दिन तक नियमित मात्र एक गुलाब का पुष्प अर्पित किया करें.
भाग्योन्नति हेतु:-
यदि आपको भाग्योन्नति में बार-बार अवरोध कि स्थितियों का सामना करना पड रहा है, अथवा आपका प्रत्येक कार्य सफलता के समीप आकर रूक जाता हो, तो उसके लिए सर्वप्रथम शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन सवा 5 रत्ती वजन का माणिक्य रत्न दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें( जन्मकुंडली में सूर्य के नीच राशि में होने की स्थिति में नहीं) अथवा स्वर्ण मंडित एक तेरह मुखी रूद्राक्ष गले में धारण करें.शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को एक श्वेत रंग का रेशमी ध्वज बनाकर उसे पीपल के वृक्ष पर बाँध दें, तत्पश्चात प्रति सोमवार ॐ गं गणपतये नम: मन्त्रोचार सहित उस वृक्ष पर कर्पूर मिश्रित जल चढाकर उसकी 5 परिक्रमा किया करें.
आप देखेंगें कि शनै: शनै: आपके भाग्य के समस्त अवरोध हटकर जीवन में शान्ति एवं समृद्धि का समावेश होने लगा हैं.

सम्पत्ति, वाहन सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप जमीन-जायदाद, नजदीकी सगे सम्बन्धियों अथवा वाहन सम्बंधी किसी प्रकार की कोई समस्या/कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो इसके लिए आप नित्य प्रात: गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर शंकर जी का अभिषेक करें और न्यूनतम 12 मंगलवार लगातार संध्या समय श्री हनुमान जी को मीठे पान का भोग लगायें. साथ ही शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को एक द्वादशमुखी रूद्राक्ष गले अथवा दाहिनी भुजा में अवश्य धारण करें.यदि आप विधिपूर्वक उपरोक्त उपाय को सम्पन्न कर सकें तो समझिए कि आप सम्पत्ति,वाहन अथवा सामाजिक व्यवहार एवं य़श-मान सम्बन्धी समस्त समस्यायों से बेहद आसानी से मुक्ति पा सकेंगें.

सुरूचिपूर्ण जीवन हेतु:-
यदि आप जीवन में बार-बार परेशानी एवं कार्यों में व्यवधान अनुभव कर रहे हों, तो इसकी निवृति हेतु आपको कम से कम ग्यारह शुक्रवार लगातार गन्ने के रस द्वारा रूद्राभिषेक करना चाहिए.
संभव हो तो मद्य-माँस इत्यादि दुर्व्यसनों से पूर्णत: दूर रहें एवं नित्य प्रात: अपने पितरों के निमित्त पितर गायत्री का जाप अवश्य किया करें. 
इससे जहाँ एक ओर आपका जीवन सुगम होगा, वहीं आपको जीवन में अनायास उत्पन हो रही कईं प्रकार की परेशानियों एवं बाधाओं से भी सहज ही मुक्ति मिलने लगेगी.

पारिवारिक कलह मुक्ति एवं दाम्पत्य सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप दाम्पत्य जीवन में व्यवधान यथा पति-पत्नि में विवाद, वैचारिक मतभेद, अशान्ती जन्य किन्ही कष्टों का सामना कर रहे हैं तो उसकी निवृति एवं आपसी सामंजस्य की अभिवृद्धि हेतु आपको नियमित रूप से मन्दिर/गुरूद्वारा इत्यादि किसी धार्मिक स्थल पर अवश्य जाना चाहिए. यदि संभव हो तो संयुक्त परिवार में ही निवास करें. इसके अतिरिक्त लगातार 21 बुधवार लाल वस्त्र में एक जटायुक्त नारियल बाँधकर भगवती दुर्गा के मन्दिर में अर्पित करें एवं एक बार किसी धार्मिक स्थल पर अपने हाथों केले का पौधा रौपें.

इस बात का विशेष रूप से स्मरण रखें कि उपाय अवधि में अंडा/माँस/शराब आदि किसी भी प्रकार के तामसिक पदार्थ का सेवन पूर्णत: वर्जित है.

भय, मानसिक तनाव से मुक्ति हेतु:-
यदि आप किसी वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं अथवा किसी अज्ञात भय से पीडित हैं, अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं तो उसके लिए 7 शनिवार लगातार सुबह के समय एक काले रंग का छोटा सा गोलाकार पत्थर लेकर उसे अपने सिर से बायें से दायें की ओर घुमाकर तिलों के तेल में डुबोकर रख दें. तत्पश्चात संध्या समय उसे पीपल अथवा बरगद आदि किसी वृक्ष के नीचे रख आयें.

इससे एक ओर जहाँ आपको मानसिक तनाव/भय/दबाव इत्यादि से मुक्ति मिलने लगेगी, वहीं परिवार के अन्य सदस्यों की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं से मन में उपजने वाली उदासीनता एवं वैमनस्य का भाव भी जागृत नहीं हो पायेगा.