Search This Blog

Showing posts with label Prajapatya Vivah. Show all posts
Showing posts with label Prajapatya Vivah. Show all posts

Tuesday, March 7, 2023

हिंदू धर्म के अनुसार विवाह के 8 प्रकार

 

हिंदू धर्म के अनुसार विवाह के 8 प्रकार

#1. ब्रह्म विवाह (Brahma Vivah In Hindi)



ब्रह्म विवाह को सर्वश्रेष्ठ विवाह माना गया हैं जिसमें दो परिवारों का मिलन होता है। ब्रह्म विवाह की सबसे बड़ी विशेषता कन्यादान मानी जाती है। ब्रह्म विवाह के लिए वर व वधु दोनों का ब्रह्मचर्य आश्रम से गृहस्थ आश्रम में आना आवश्यक होता है अर्थात उनकी आयु पच्चीस वर्ष से अधिक होनी चाहिए। ब्रह्म विवाह होने के लिए दोनों का एक वर्ण का होना आवश्यक है।

इसमें सर्वप्रथम वर के परिवार वाले रिश्ता लेकर वधु के घर (Brahma Vivah Kya Hai) जाते है तथा विवाह का प्रस्ताव रखते है। जब वधु के परिवार से सहमति मिल जाती है तो रिश्ता पक्का माना जाता है। इसके पश्चात पूरे विधि-विधान से तथा वैदिक मंत्रों के साथ विवाह करवाया जाता है जिसमें वधु के पिता के द्वारा कन्यादान कर दिया जाता है। कन्यादान के पश्चात वह स्त्री अब वर पक्ष की मान ली जाती है तथा उसे अब वही रहकर अपने जीवन के कर्तव्य पूर्ण करने होते है।

#2. प्रजापत्य विवाह (Prajapatya Vivah In Hindi)

प्रजापत्य विवाह में वधु के माता-पिता विवाह के लिए उसकी सहमति नही लेते हैं तथा छोटी आयु में ही उसका विवाह संपन्न करवा देते हैं। इसमें कन्या का पिता अपनी पुत्री को वर को सौंपने की बजाये उसके पिता को सौंपता है। इसलिये विवाह के पश्चात वह अपने ससुराल चली जाती है।

चूँकि वह अभी छोटे ही होते है तो वधु को घर में कन्या के तौर पर ही रखा जाता है तथा गृहस्थ जीवन शुरू होने पर उन्हें एक साथ रहने की अनुमति मिल जाती है। यह ब्रह्म विवाह का ही एक स्वरुप होता है बस इसमें विवाह पहले करवा दिया जाता है।

#3. दैव विवाह (Dev Vivah In Hindi)

यह भी एक तरह से ब्रह्म विवाह का ही रूप है लेकिन इसमें कोई धार्मिक अनुष्ठान इत्यादि नही होता था। यह तब किया जाता था जब कोई व्यक्ति अपनी कन्या का विवाह करवाने में अक्षम होता था तथा उसके पास इतना धन नही होता था या कन्या का विवाह एक निश्चित आयु सीमा के भीतर नही हो पा रहा हो या उसके लिए कोई उचित वर न मिल पा रहा हो।

उस स्थिति में वह अपनी कन्या का विवाह किसी सिद्ध पुरुष या ज्ञानी व्यक्ति से (Dev Vivah Kya Hai) करवा देते थे अर्थात वह धार्मिक अनुष्ठान इत्यादि में अपनी कन्या का दान कर देता था। इसे ही दैव विवाह की संज्ञा दी गयी है। यद्यपि धर्मशास्त्रों में दैव विवाह को जहाँ तक हो सके ना करने को कहा गया है लेकिन स्थिति के अनुसार इसका करना उचित समझा जाता था।

#4. आर्श विवाह (Aarsh Vivah In Hindi)

यह सामान्यतया वह विवाह होता था जिसमें वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष से विवाह के बदले में उन्हें गाय तथा बैल देते थे। इसमें किसी प्रकार के धन का आदान-प्रदान नही होता था। इसलिये इसे गोदान विवाह भी कहा जाता था। यह मुख्यतया आदिवासी या निर्धन परिवारों की सहायता करने के उद्देश्य से भी किया जाता था। इस विवाह के द्वारा वर पक्ष कन्या शुल्क के रूप में गाय का दान करते थे।

#5. गंधर्व विवाह (Gandharva Vivah In Hindi)

इसे आज के समय के अनुसार प्रेम विवाह भी कहा जा सकता है। यह वह विवाह होता था जिसमें एक पुरुष तथा स्त्री एक दूसरे को पसंद करते थे लेकिन इसमें उनके परिवारों की सहमति नही होती थी। इसलिये उनकी आज्ञा के बिना यह विवाह किया जाता था तब इसे गंधर्व विवाह की संज्ञा दी गयी है। इसमें वे किसी बड़े धार्मिक अनुष्ठान के बिना विवाह कर लेते थे। इतिहास में देखा जाये तो महाराज दुष्यंत का शकुंतला से हुआ विवाह गंधर्व विवाह की श्रेणी में ही आता है।

#6. असुर विवाह (Asura Vivah In Hindi)

इस विवाह को उचित विवाह की श्रेणी में नही रखा जाता था। यह सामान्यता निर्धन परिवारों की कन्याओं के साथ ज्यादा होता था जिसमें एक कन्या से विवाह के लिए उसका मूल्य चुकाया जाता था। इसमें वर पक्ष के द्वारा वधु पक्ष के लोगों को उनकी आवश्यकता से अधिक धन देकर कन्या का सौदा कर लेते थे तथा विवाह संपन्न हो जाता था।

यह सामान्यता उस स्थिति में होता था जब पुरुष में या तो कोई दोष हो, नीची जाति का हो या उस कन्या के लायक न हो जैसे कि उससे आयु में बड़ा होना या कोई अन्य कारण। शास्त्रों में इस विवाह को अच्छा नही माना गया है।

#7. राक्षस विवाह (Rakshas Vivah In Hindi)

जब कोई पुरुष तथा महिला एक दूसरे को पसंद करते हो तथा वर पक्ष के परिवार वाले इससे सहमत हो लेकिन वधु पक्ष के असहमत तब कन्या की पसंद को देखते हुए उससे विवाह कर लेना राक्षस विवाह की श्रेणी में आता था।

भगवान श्रीकृष्ण का भी राक्षस विवाह (Rakshasa Vivah) हुआ था जिसमें रुकमनी को वे पसंद थे लेकिन उनके घरवाले इसके लिए तैयार नही थे। तब श्रीकृष्ण ने रुकमनी को भगाकर उनसे विवाह किया था। इसके अलावा अन्य प्रसिद्ध उदाहरणों में भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का अर्जुन से विवाह तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान का सयोंगिता से विवाह भी राक्षस विवाह ही था।

#8. पैशाच विवाह (Pishach Vivah In Hindi)

इस विवाह को सबसे अधिक अनुचित विवाह की श्रेणी में रखा गया है। यह तब किया जाता था जब कोई कन्या या तो अपने होश में नही है या गहरी निद्रा में है या जबरदस्ती उसका विवाह किसी और से करवा दिया गया हो, उस विवाह को पैशाच विवाह की श्रेणी (Paishacha Vivah) में रखा गया है।

यह विवाह अनुचित विवाह ही होता था जिसमे एक कन्या की सहमति के बिना किसी पराये पुरुष से उसका विवाह जबरदस्ती (Vivah Ke Prakaro Ki Vivechna Kijiye) करवा दिया जाता था तथा जब उसे होश आता था तब उसे अपने विवाहित होने का पता चलता था।