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Friday, November 26, 2021

मिलेगी सुंदर और भाग्यशाली पत्नी | कुंडली में सुंदर और भाग्यशाली पत्नी के योग

 मिलेगी सुंदर और भाग्यशाली पत्नी



जन्म कुंडली में यदि इस प्रकार के योग है तो मिलेगी सुंदर और भाग्यशाली पत्नी:-
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में वृषभ या तुला राशि होती है तो उसे सुंदर पत्नी मिलती है.!
  • यदि कुंडली के सप्तम भाव का स्वामी सौम्य ग्रह होता है और वह स्वराशि होकर सप्तम भाव में ही स्थित होता है तो व्यक्ति को सुंदर और भाग्यशाली पत्नी प्राप्त होती है.!
  • जब सप्तम भाव का स्वामी सौम्य ग्रह हो और वह नवम भाव में हो तो व्यक्ति को गुणवती और सुंदर पत्नी प्राप्त होती है। इस योग से व्यक्ति का भाग्योदय विवाह के बाद होता है.!
  • सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में उपस्थित हो तो व्यक्ति की पत्नी रूपवती, संस्कारी, मीठा बोलने वाली और सुंदर होती है। विवाह के पश्चात व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है या पत्नी के माध्यम से भी लाभ प्राप्त होते है.!

  • यदि व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में वृष या तुला राशि होती है तो व्यक्ति को चतुर, मीठा बोलने वाली, सुंदर, शिक्षित, संस्कारी, तीखे नयन-नक्ष वाली, गौरी, संगीत कला आदि में दक्ष पत्नी प्राप्त होती है.!
  • यदि कुंडली के सप्तम भाव में मिथुन या कन्या राशि हो तो व्यक्ति को कोमल, आकर्षक व्यक्तित्व वाली, भाग्यशाली, मीठा बोलने वाली श्रेष्ठ पत्नी प्राप्त होती है.! 
  •  जिस व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में कर्क राशि है, उसे अत्यंत सुंदर, भावुक, कल्पनाप्रिय, मधुरभाषी, लंबे कद वाली, तीखे नयन-नक्ष वाली, भाग्यशाली पत्नी प्राप्त होती है.!
  • यदि कुंडली के सप्तम भाव में कुंभ राशि हो तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी गुणवान, धार्मिक, आध्यात्मिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाली एवं दूसरों का सहयोग करने वाली होती है.!
  • कुंडली के सप्तम भाव में धनु या मीन राशि हो तो व्यक्ति को पुण्य के कार्यों में रुचि रखने वाली, सुंदर, न्याय एवं नीति की बातें करने वाली, पति के लिए भाग्यशाली, शास्त्र अध्ययन करने वाली पत्नी प्राप्त होती है..!!

Thursday, October 28, 2021

विवाह संस्कार नहीं करना चाहिए।

 विवाह संस्कार नहीं करना चाहिए।



1- विवाह संस्कार इस माह मेंनिषेध: ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, जिस माह मेंजातक के माता-पिता का विवाह हुआ हो या जिस माह मेंस्वयं उस जातक का जन्म हुआ हो उस माह मेंविवाह संस्कार नहीं करना चाहिए। 


2- यह नक्षत्र नहीं हैशुभ: पुष्य और पूर्वाफाल्गुनी गु नक्षत्रों मेंविवाह संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता है इसलिए इस दौरान विवाह संस्कार वर्जित है। 


3- कब हो प्रथम संतान का विवाह: ज्योतिषशास्त्र के जानकारों के अनुसार किसी व्यक्ति को अपनी प्रथम यानि ज्येष्ठ संतान का विवाह कभी भी ज्येष्ठ माह मेंनहीं करना चाहिए। इसका कारण यह हैकि ज्येष्ठ माह भी होता हैऔर संतान भी ज्येष्ठ जो कि शुभ संयोग नहीं होता है। इसलिए अपनी पहली संतान का ज्येष्ठ माह मेंविवाह करना अशुभ माना गया है। 


4- ग्रहण मेंन करेंवि वाह: सूर्यअथवा चंद्र ग्रहण के तीन दिन पूर्वऔर ग्रहण के तीन दिन बाद तक विवाह कार्य करना वर्जित माना जाता है। 


5- इस योग मेंन करेंविवह: जिस समय गुरुगु, शुक्र गोचर मेंहों और तारा अस्त हो तो इस योग मेंभी विवाह कार्य नही करना चाहिए। चतुर्मास मेंजब भगवान विष्णुशयन करतेहैंउस समय सेलेकर देवउठनी एकादशी के दौरान भी विवाह संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।