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Wednesday, May 15, 2019

मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

 

Sanjeevani Mantra


इस मंत्र का नाम मृत संजीवनी मंत्र है, अब आपको यह भी बता देते है की इसकी पूजा और जप कैसे करना है, सबसे पहले तो आपको शुक्ल पक्ष में किसी भी सोमवार की सुबह भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी है और फिर इस मंत्र का 108 बार जाप करना है.

The Sanjeevan Mantra is: 

Sanjeevani Mantra to bring back the life in a dead body




ॐ हौं जूं स: 

ॐ भूर्भुव: स्व: त्र्यबकंयजामहे 

ॐ तत्सर्वितुर्वरेण्यं 

ॐ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम् 

ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि 

ॐ उर्वारुकमिव बंधनान् 

ॐ धियो योन: प्रचोदयात् 

ॐ मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् 

ॐ स्व: भुव: भू: स: जूं हौं ॐ।। 

After chanting this mantra, perform Lord Shiva’s Aarti.

माना जाता है की कोई सच्चे दिल से निरंतर इस मंत्र का जाप करता है तो कई सारे बड़े-बड़े संकटों से आसानी से मुक्ति पायी जा सकती है. वैसे तो भगवान शिव के कई सारे मंत्र है पर अपनी सभी तरह की इच्छाओं को पूरी करने के लिए सबसे शक्तिशाली मंत्र है "महामृत्युंजय मंत्र" जिसका हर किसी को सच्चे दिल से जाप करना चाहिए और लाभान्वित होना चाहिए.




जब किसी भी कारण से व्यक्ति के ऊपर अकाल मृत्यु का या मृत्यु तुल्य कष्ट का खतरा मडराने लगा हो तथा स्तिथि बेहद संवेदनशील हो जाए तो “मृत संजीवनी” मन्त्र का अनुष्ठान, मन्त्रों के माध्यम से उपचार करने का एकमात्र रास्ता रह जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि स्वयं शिव ने ही मृत्यु सुनिश्चित ना कर दी हो तो इस मन्त्र में, यमराज के मुंह से भी व्यक्ति को बाहर लाने का सामर्थ्य है . “मृत संजीवनी” मन्त्र मृत्यु के भय से मुक्त करने के लिए अचूक मन्त्र है .
 भयानक दुर्घटना ,असाध्य रोग, दिल का दौरा,  मारकेश की दशा, अष्टमस्थ शनि, राहू या केतु की दशा , बालारिष्ट योग
और कारागार बंधन का यदि भय हो तो महामृत्युंजय मन्त्र का अनुष्ठान अत्यंत लाभकारी है .


जप संख्या : कम से कम लघु 21,000 या दीर्घ 51,000 या कलयुग के नियमानुसार अधिकतम अति दीर्घ 1,25,000
अवधि : अत्यंत ही नाजुक परिस्थिति में अखंड या परिस्थिति अनुसार आवश्यक दिनों में
समय : यदि स्थिति अत्यंत नाजुक हो तो कभी भी .

इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं।
* इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है;
* शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
* ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है। 
* चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है।

सुलेमानी हकीक, लाभ और धारण करने की विधि

सुलेमानी हकीक, लाभ और धारण करने की विधि

एगेट

सुलेमानी हकीक दुनिया का ऐसा अनोखा पत्‍थर है जिसे जितनी श्रृद्धा से हिन्‍दू धारण करता है उतनी ही श्रृद्धा से मुस्‍लिम भी धारण करते हैं। इसका कारण साफ है कि यह एक चमत्‍कारिक उपाय है जिसे धारण करना बहुत आसान है।


अगर इस स्‍टोन को पहनना है तो शरीर के भार के दसवें हिस्‍से जितने कैरेट का सुलेमानी हकीक कम से कम पहनें। जैसे अगर आपका वजन 70 किलो है तो आप 7 कैरेट का स्‍टोन पहनें। इसे अंगूठी, पेंडेंट की तरह इस्‍तेमाल करना हो या घर में कहीं रखना हो तो भी इसे खरीदते समय ध्‍यान रखें की इसमें अलग से कोई दाग-धब्‍बा नहीं होना चाहिए और ये कहीं से टूटा भी नहीं होना चाहिए।

सुलेमानी हकीक धारण करने के लाभ :

  • हर तरह के काला जादू और बुरी नजर के प्रभाव से बचाता है और अगर किसी को ऐसा लगता हो कि उस पर किसी की बुरी नजर है तो ऐसी अवस्‍था में उसे हकीक तुरंत धारण कर लेना चाहिए।
  • नौकरी या व्‍यवसाय में अगर परेशानी आ रही हो तो भी इस रत्‍न को धारण करना बहुत उचित रहता है। यह विपत्‍ती और परेशानियों में आपको संभाले रखने का काम करता है।
  • आपमें आकर्षण को बढ़ाता है इसलिए अगर आप किसी को अपना बनाना चाहते हैं या चाहते हैं कि सामने वाला बस आपकी तारीफ के कसीदे पड़ता रहे तो इस चमत्‍कारिक पत्‍थर को धारण करने में बिल्‍कुल भी देरी न करें।
  • सभी रत्‍नों में सिर्फ यही ऐसा पत्‍थर है जो कर तरह के किए कराए का काट है। इसलिए अगर ऐसा लगता हो कि किसी की बुरी नजर के कारण आपका घर में अशांति है और व्‍यापार में लगातार घाटा हो रहा है तो इसे अवश्‍य धारण करें।
  • इस पत्‍थर को धारण करने से शत्रुओं का समूल नाश हो जाता है। यह सेहत के लिए भी किसी रामबाण जैसा है।
  • अगर आप राहू केतु और शनि के दुष्‍प्रभावों से पीडि़त हैं तो सिर्फ सुलेमानी हकीक को धारण किजीए यह इन तीनों ग्रहों के अच्‍छे फल को देगा।

हकीक धारण करने की विधि:



इसे हमेशा चांदी की अंगूठी में पहनना चाहिए। इसके अलावा हकीक की अंगूठी को शनिवार के दिन सूर्योदय के पश्चात सीधे हाथ की मध्य अंगुली में धारण करना चाहिए। वैसे हकीक पहनने का एक सामान्य तरीका उसे धागे में धारण करना भी है। हकीक की माला आपको पाप, काला जादू व तंत्र आदि से सुरक्षित रखती है।

हकीक की माला

कहते हैं हकीक की माला का जप करने से भगवान शिव अति प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अलावा हकीक की माला फेरने के साथ यदि हनुमान जी के किसी मंत्र का जप किया जाए, तो यह भी अति फायदेमंद होता है।

परीक्षाओं में सफल होने के लिए

यदि कोई छात्र कड़ी मेहनत के बाद भी परीक्षाओं में सफल होने से असमर्थ हो तो उसे काले हकीक की माला पहनानी चाहिए। यह विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त करने के लिए सहयोगी मानी गई है। इसके अलावा मासिक धर्म रुक जाने या फिर महिलाओं से संबंधित किसी भी अन्य गुप्त परेशानी का हल पाने में काला हकीक फायदेमंद है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह रत्न अच्छा माना गया है।

नींद

इसके अलावा जिन्हें नींद नहीं आती या फिर बुरे सपने आते हैं, वे रात के समय अपने तकिये के नीचे पीला हकीक रखकर सो जाएं, यह दोनों समस्याएं दूर हो जाएंगी।

बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है 'सुलेमानी हकीक'
नीले धागे में बांधकर गले में पहनें इसे किसी भी आयु का व्यक्ति किसी भी दिन पहन सकता है। यह बुरी नजर की बाधा दूर करके सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है। सुलेमानी पत्थर को चांदी के लॉकेट में धारण करके नीले धागे में बांधकर गले में पहनें या अंगूठी भी धारण की जा सकती है।


पीला हकीक

निडर एवं मुसीबतों से लड़ने की ताकत देता है पीला हकीक। बृहस्पति भगवान को प्रसन्न करने के लिए भी पीला हकीक धारण किया जाता है। यदि आप जानते ना हों, तो बता दें कि जीवन में धन एवं सुख-सम्पदा पाने के लिए भगवान बृस्पति को प्रसन्न करना अति आवश्यक है।

सफेद हकीक

अध्यात्म, मानसिक शांति, जीवन में संतुलन पाने एवं तनाव से बचने के लिए पहना जाता है सफेद हकीक। इसके अलावा वे लोग जो भावनाओं के जंजाल में फंसे हैं एवं इस दलदल में धंसते चले जा रहे हैं, उनके लिए भी फायदेमंद है सफेद हकीक।


सुलेमानी हकीक से लाभ:

ऐसा माना जाता है कि सुलेमानी हकीक को पहनने से या उसे आस-पास रखने मात्र से ही आत्‍मविश्‍वास में बढ़ोत्‍तरी होती है। यह नकारात्‍मक ऊर्जा को बाहर करता है जिससे उदासी, उलझन और चिड़चिड़ा पन दूर होता है।

क्‍यों पहने सुलेमानी हकीक


सुलेमानी हकीक पहनने से व्‍यक्ति अपने लक्ष्‍य के प्रति ज्‍यादा फोकस और समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इसको पहनने से कार्यक्षेत्र में ज्‍यादा अच्‍छा परफार्मेंस हो जाता है, काम में मन लगता है और बेकार की बातें मन में नहीं आती हैं। हृदय और मस्‍तिष्‍क के बीच संतुलन बनाता है जिससे निर्णय क्षमता में भी सुधार होता है।

हकीक का ज्योतिषीय विश्लेषण

हकीक का इस्तेमाल चक्कर आने, सिरदर्द साथ ही साथ त्वचा की समस्याओं से निजात पाने के लिए किया जाता है। यह बहुत ज़रूरी है कि यह रत्न आपकी त्वचा के संपर्क में रहे साथ ही उस अंग के भी पास हो जिसे उपचार की आवश्यकता है। आंखों की थकान व सूजन को मिटाने के लिए भी हकीक का इस्तेमाल लाभकारी है। 

गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए भी हकीक का इस्तेमाल किया जाता है। पृथ्वी चक्र को संतुलित बनाए रखने में हकीक की महत्वपूर्ण भूमिका है।
 हकीक रत्न एक आध्यात्मिक संपर्क सूत्र के रूप में कार्य करता है, जो दैविक शक्ति के साथ हमें जोड़ने में मदद करता है। यह हारा लाइन ऊर्जा में आने वाली रुकावटों को हटाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। 
इसके प्रभाव से ऊर्जा पूरे शरीर में सिर से पांव तक प्रवाह होती है और भावनात्मक दर्द से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा यह पृथ्वी और आकाश के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है और समग्र जागरूकता बढ़ाता है। 

Spouse Profession through Birth Chart

 Spouse Profession through Birth Chart




These are the results for the 7th lord in various houses.
1st House: Your spouse may be a known person to you. He/she may be from your same community. They could be your distant relative as well.

2nd House:  If your 7th lord is in 2nd house, then your spouse may be known to some of your family members. They can be somehow related to your finance, banking or your friends.
3rd House: The 7th lord in 3rd house, then your spouse can come through your siblings, relatives or neighbours. You may meet them through media, or you may meet them during some short course, or short journeys.
4th House: When your 7th lord is in this house, you may meet them in your student life, they may be someone related to your mother or maternal relatives. They may meet you even through your job.
5th House: In ancient texts, it says when your 7th lord is in the 5th house, then it is a clear indication of love marriage. You may meet them from a public space like entertainment programs, networking or when you do your self-promotion activities.

6th House: The 7th lord in 6th house, they may be your colleagues, maternal relatives, they can be your enemies eventually, or some acquaintance of your enemies.




7th House: When 7th lord in 7th house, your spouse can come from business partnerships, this can be or cannot be a love marriage. Your parents can bring this relationship as well.
8th House: When 7th lord in 8th house, your spouse can be interested in research, they may like the occult, they can be working people. You may even marry a person known to you.


9th House: You may marry a person from a different community, they can be interested in religion and philosophy, they like literature or higher studies. They can be even foreigners.
10th House: Your spouse can be your classmate, colleague, or from fields related to your job.
11th House: If your 7th lord is in the 11th, you may meet your spouse through your elder siblings, friends or team projects.



12th House: If the 7th lord is in the 12th, your spouse can be from a different religion or foreign place. They can even be maternal relatives.
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Marriage is the most pursued and most valued event of your life. This horoscope report analyses your 7th house in detail to give answers to your queries such as 'when would I get married' and 'who would be my bride/groom'.
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Favourable periods for marriage
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Rahu Ketu Doshas & Remedies
Dasha and Apahara Periods

Tuesday, May 14, 2019

मध्यायु योग in Kundli | AGE 30 + | Below AGE 60| AgeAstrology

मध्यायु योग in Kundli  | AGE 30 + | Below AGE 60| AgeAstrology






मिथुन व कन्या लग्न वालों की प्रायः मध्यम आयु होती है। यदि लग्नेश तथा अष्टमेश में से एक चर- मेष, कर्क, तुला, मकर तथा दूसरा स्थिर- वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि में हो तो जातक मध्यायु होता है।





 यदि शनि और चंद्र दोनों की द्विस्वभाव राशि में हों या एक चर तथा दूसरा स्थिर राशि में हो तो जातक मध्यायु होता है। यदि लग्नेश तथा अष्टमेश सामान्य स्थानों में हो तो जातक मध्यायु होता है। कई विद्वानों का यह मत भी है कि मध्यायु योग वाले जातकों की मृत्यु जन्म स्थान से बहुत दूर होती है।
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दिव्यायु योग in KUNDLI


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यदि शुभ ग्रह बुध, बृहस्पति, शुक्र, चंद्र केंद्र और त्रिकोण में हो और सब पाप ग्रह 3, 6, 11,वें स्थान में हों तथा अष्टम भाव में शुभग्रह या शुभ राशि हो तो व्यक्ति के जीवन में दिव्य आयु का योग बनता है। 






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यदि शुभ ग्रह बुध, बृहस्पति, शुक्र, चंद्र केंद्र और त्रिकोण में हो और सब पाप ग्रह 3, 6, 11,वें स्थान में हों तथा अष्टम भाव में शुभग्रह या शुभ राशि हो तो व्यक्ति के जीवन में दिव्य आयु का योग बनता है। ऐसा जातक यज्ञ, जप, अनुष्ठान व कायाकल्प क्रियाओं द्वारा हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है। किंतु ग्रंथों में यह स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे जातक का जन्म मृत्यु लोक में संभव नहीं है। ऐसी आयु तपोनिष्ठ ऋषि फिर भी पा सकते हैं।