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Wednesday, December 15, 2021

Durga Stotram - Maa Durga

 Durga Stotram - Maa Durga



Durga Stotram in Hindi

समस्त शास्त्रों में देवी- देवताओं में पहला स्थान आद्यशक्ति भगवती माँ दुर्गा माँ को दिया जाता है, जो स्वंय महादेव शिव की भी महाशक्ति मानी जाती है। माँ दुर्गा भवानी की शरण में जाने वाले की सभी आध्यात्मिक और भौतिक कामनाएं माता पूरी कर देती है। अगर माता की कृपा पाना चाहते हैं तो प्रतिदिन दिन में एक बार माँ दुर्गा की इस कामना पूर्ति स्तुति का पाठ श्रद्धा पूर्वक जरूर करें। कुछ ही दिनों में माता दुर्गा की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होने लगेगी।


माँ दुर्गा के इस स्त्रोत का पाठ करें-

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत को दुर्गा सप्तशती ग्रंथ पाठ का सार माना जाता है, इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मिलने वाला सम्पूर्ण फल सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ के करने मात्र से मिल जाता है। दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण पाठ करने में कम से कम 3 घंटे का समय लगता है, वहीं सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कुछ मिनट में ही पूर्ण हो जाता है। यदि कोई संकल्प लेकर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र का नियमित जप करते है तो माँ दुर्गा के आशीर्वाद से उनकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होने लगती है।



सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र पाठ सरल विधि

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपडा बिछाकर माँ दुर्गा की फोटो स्थापित कर आव्हान व पूजन करें। इस मंत्र को एक कोरे सफेद कागज पर लिखकर फोटो के नीचे रख दें। चौकी के बायीं तरफ गाय के घी का एक दीपक जलाने के बाद श्री गणेश जी के प्रतिक रूप में एक बड़ी सुपारी में लाल धागा लपेटकर चावल की ढेरी के आसन पर स्थापित कर आव्हान व पूजन करें। अब कुशा के आसन पर बैठकर हर रोज इस स्त्रोत मंत्र का जप 108 करें। सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र के जप से जीवन में आने वाली बाधाएं, पीडाएं धीरे-धीरे दूर होने के साथ समाज में मान -सम्मान एवं धन धान्य की प्राप्ति भी होती है।

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माँ दुर्गा की ये स्तुति करती है हर मनोकामना पूरी

 Durga Stotram VYAS DWARA LIKHA HUA

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥




Maha Lakshmi Stotram

 Maha Lakshmi Stotram


Namaste stu mahamaye
sripithe sura-pujite,
Sankha-cakra-gada-haste
mahalaksmi namo stu te.

Meaning -
O ! Mahamaya , you are our house of fortune,who is worshipped by the devas,I bow and offer Thee;O ! Mahalakshmi , who holds the dic,conch and mace ,am your devotee and O ! Mahalakshmi I always worship you.

Namaste garudarudhe
kolasura-bhayankari
Sarva-papa-hare devi
mahalaksmi namo stu te.

Meaning -
My salutations to thee ,riding on the bird Garuda and art to remove the Asura Kola;O Goddess Mahalakshmi,you are the one who remove's alll the distress and pain of your devotees,am your devotee and I alway'sworship you.

Sarvajne sarva varade
sarva-dusta-bhayankari,
Sarva-dukha-hare devi
mahalaksmi namo stu te.
Meaning -
O ! Goddess Mahalakshmi,who is known to all,you are the one who gives boons to her devotees,A remover of all the sins,who destroys fear and diseases and O ! Mahalakshmi I always worship you.

Siddhi-buddhi-prade devi
bhukti mukti-pradayini
Mantra-Murte sada devi
mahalaksmi namo stu te.

Meaning -
O  ! Goddess,you are the one who gives intelligence and success to the people in need and you give enjoyment and liberation,The symbols you display as Mystic.O ! Mahalakshmi I always worship you.

Adyanta-rahite devi
adyasakti mahesvari
Yogaje yoga-sambhute
mahalaksmi namo stu te.
Meaning -
O !  Goddess ,Maheshwari,with you is the begining and with you is an end,you are the energy source of the universe born of yoga,O ! Mahalakshmi I always worship you.

Sthula-suksma-maharaudre
mahasakti-mahodare,
Maha-papa-hare devi
mahalaksmi namo stu te.

Meaning -
O ! Mahalakshmi,you are the life of all the beings in ultra fine,you are the great power,who has great prosperity and you are the remover of all sins,O ! Mahalakshmi I always worship you.

Padmasana-sthite devi
parabrama svarupini,
Paramesi jagan matar-
mahalaksmi namo stu te.

 Meaning -
O ! Mahalakshmi,seated on a Lotus flower,who art lord Brahma ,who is the great lord and look after your devotees like a mother , you are the source energy of the Universe.O ! Mahalakshmi I always worship you.

Svetambara-dhare devi
nanalankara-bhushite,
Jagat-sthite jagan-matar-
mahalaksmi namo stu te.

Meaning -
O Goddess,who is in white saree,decked with very precious ornaments,you are the mother of the Universe and the energy support fo it,O Mahalakshmi I always worship you.

Mahalaksmyastakam stotram
yah pathed bhaktiman narah,
Sarva-siddhim-avapnoti
rajyam prapnoti sarvada.

Meaning -
This song is for you the great Goddess of wealth,If read with devotion will attain all the success and will get all the worldly position.

Eka-kale pathen nityam
maha-papa vinasanam
Dvi-Kalam yah pathen nityam
dhana-dhanya-samanvitah

Meaning -
If this song is read Once a day,all the sins will be destroyed and if a person reads this twice a day wealth and prosperity will be showered on him/her.

Tri-kalam yah pathen nityam
mahasatru-vinasanam,Mahalakshmir-bhaven-nityam
prasanna varada subha.

Meaning -
If a person reads this thrice a day,all the enemies (ego) will be destroyed.Goddess Mahalakshmi will be ever pleased with that auspicious one.

Outcome of this Mantra -
A person he/she who chants this mantra at least once per day, Goddess Lakshmi will give her blessings in the form of wealth and fill happiness in his/her family.



वर्षफल और ताजिक योग | Varshaphal and Tajik Yoga

 

वर्षफल और ताजिक योग | Varshaphal and Tajik Yoga




बिना ताजिक योगों के वर्ष कुण्डली का अध्ययन अधूरा होता है. कार्य की सिद्धि होगी अथवा नहीं होगी यह ताजिक योगों से ज्ञात होता है. अधिकतर ताजिक योग लग्नेश तथा कार्येश पर आधारित होते हैं.

इकबाल योग | Ikbal Yoga

इकबाल योग का अर्थ प्रतिष्ठा, सम्मान से होता है. वर्ष कुण्डली में यदि सभी ग्रह केन्द्र भाव अर्थात 1,4,7,10 में या पणफर (STHIR RASHI) अर्थात 2,5,8,11 में स्थित हों तो इकबाल योग क अनिर्माण होता है. यह एक अच्छा तथा शुभ योग है कुण्डली में यह योग शुभता एवं कार्यसिद्धि का सूचक बनता है.

इन्दुवार योग | Induvar Yoga

इंदुवार यो भाग्य में कमी को दर्शाता है. यदि वर्ष कुण्डली में सारे ग्रह अपोक्लिम अर्थात 3,6,9,12 भावों में हो तब इन्दुवार योग बनता है. इस भावों बैठे ग्रह क्षीणता युक्त होते हैं.

दुरुफ योग | Duruph Yoga

कुण्डली में यदि लग्नेश तथा कार्येश 6,8,12 भावों में निर्बल अवस्था में स्थित हों तथा पाप ग्रहों से दृष्ट हों तब दुरुफ योग बनता है. यह अच्छा योग नहीं होता.

इत्थशाल योग | Ithashal Yoga

लग्नेश तथा कार्येश में दृष्टि संबंध हो. लग्नेश तथा कार्येश दीप्ताँशों में हो. इत्थशाल होने के लिए दो ग्रहों का आपस में संबंध होता है. मंदगामी ग्रह के अंश अधिक हों तथा तीव्रगामी ग्रह के अंश कम हों. उपरोक्त शर्ते यदि पूरी हो रही हों तो इत्थशाल योग बनता है. यह योग भविष्य में होने वाला संबंध दिखाता है. भविष्य में कार्य सिद्धि के योग बनते हैं.

इशराफ योग | Ishraf Yoga

कुछ विद्वान इसे मुशरिफ योग भी कहते हैं. यह योग इत्थशाल योग के ठीक विपरीत होता है. परस्पर दो ग्रहों में दृ्ष्टि हो, परन्तु शीघ्रगामी ग्रह के अधिक अंश हों तथा मंदगामी ग्रह के अंश कम हों. इस प्रकार शीघ्रगामी ग्रह आगे ही बढ़ता रहेगा और कार्य हानि होगी. मंदगामी ग्रह, तीव्रगामी ग्रह से एक अंश से अधिक पीछे हो तो इशराफ होगा.

कुत्थ योग | Kutha Yoga

लग्नेश, कार्येश कुण्डली में बली हों. शुभ ग्रहों से दृष्ट हों, शुभ भावों में हों तथा शुभ संबंध में हों तो शुभ है. कार्य की सिद्धि हो सकती है.

दुफलि कुत्थ योग | Dufali Kutha Yoga

कुण्डली में मंदगामी ग्रह बली हो. तीव्रगामी ग्रह निर्बल हो तो दुफलि कुत्थ योग बनता है. इस योग के बनने पर कार्य सिद्धि की संभावना अच्छी रहती है.

मणऊ योग | Manau Yoga

इत्थशाल में शामिल ग्रहों से मंगल तथा शनि का संबंध भी बन रहा हो तो मणऊ योग बनता है. इसमें कार्य की हानि हो होती है. कार्य नहीं बनता.

रद्द योग | Radd Yoga

वर्ष कुण्डली में यदि मंदगामी ग्रह निर्बल हो तथा तीव्रगामी ग्रह बली हो तब रद्द योग बनता है. इस योग के बनने से कार्य हानि होती है.

कम्बूल योग | Kambool Yoga

वर्ष कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का परस्पर इत्थशाल हो रहा हो. दोनों ग्रहों में से किसी एक ग्रह के साथ चन्द्रमा का इत्थशाल हो रहा हो तब कम्बूल योग बनता है. इस योग के बनने पर कार्यसिद्धि होती है.

गैरी कम्बूल योग | Gairi Kambool Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का इत्थशाल, शून्यमार्गी चन्द्रमा से हो रहा हो और चन्द्रमा राशि अंत में भी स्थित हो तब यह गैरी कम्बूल योग बनता है. इस योग में कार्य सिद्धि विलम्ब से होती है.

खल्लासर योग | Khallasar Yoga

लग्नेश तथा कार्येश का संबंध होने से इत्थशाल है लेकिन शून्यमार्गी चन्द्रमा से कोई संबंध नहीं है तो यह खल्लासर योग बनता है. इस योग में कार्य सिद्धि नहीं होती है.

ताम्बीर योग | Tambeer Yoga

जब कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का इत्थशाल नहीं होता है. एक राशि अंत में होता है और दूसरा ग्रह अगली राशि में आने पर किसी अन्य बली ग्रह से इत्थशाल करे तब यह ताम्बीर योग बनता है. इस योग में किसी अन्य की सहायता से कार्य की सिद्धि होती है.

नक्त योग | Nakta Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश में इत्थशाल नहीं है लेकिन कोई अन्य तीसरा तीव्रगामी ग्रह दोनों से इत्थशाल करता है तो नक्त योग बनता है. इस योग में किसी मध्यस्थ की सहायता से बात बन सकती है अर्थात कार्य सिद्धि हो सकती है.

यमया योग | Yamya Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश में इत्थशाल नहीं है लेकिन किसी अन्य मंदगामी ग्रह से दोनों का इत्थशाल हो तो यमया योग बनता है. इस योग में किसी बडे़-बुजुर्ग की सहायता लेकर व्यक्ति कार्य बना सकता है. किसी को मध्यस्थ बनाकर कार्य को सफल बनाया जा सकता है.