Search This Blog

Showing posts with label जन्म का पाया. Show all posts
Showing posts with label जन्म का पाया. Show all posts

Tuesday, August 20, 2019

Shani ka paya – शनि का पाया जानने की विधि और फल

जन्म का पाया

जन्म समय के अनुसार नक्षत्र और राशि के पाये को देखा जाता है नक्षत्र पाया शरीर और परिवार से जोडा जाता है राशि का पाया दिमागी सोच सांसारिक स्थान और कार्य विवाह आदि के लिये माना जाता है। पाये चार प्रकार के होते है -

स्वर्ण पाया
रजत पाया
ताम्र पाया
लौह पाया

BRIEFING

1.सोने के पाया में जन्म : यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि चन्द्र राशि से 1,6,&11 अर्थात् पहले, छठे या ग्यारहवें स्थान में स्थित हो तो सोने के पाया का जन्म समझना चाहिए। श्रेष्ठता के क्रम में इस पाये का स्थान तृतीय नंबर पर आता है।

2.चाँदी के पाया में जन्म : यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि चन्द्र राशि से 2,5&9 अर्थात् दूसरे, पाँचवे या नवम स्थान में हो तो चाँदी के पाए का जन्म मानना चाहिए। श्रेष्ठता के क्रम में यह पाया सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
3.ताँबे के पाया में जन्म : यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि चन्द्र राशि से 3,7&10 अर्थात् तीसरे, सातवें या दसवें भाव में हो तो ताँबे के पाये का जन्म समझना चाहिए। श्रेष्ठता क्रम में यह दूसरे क्रम पर है।
4.लोहे के पाया में जन्म : यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि चन्द्र राशि से 4,8 &12 अर्थात् चौथे, आठवें या बारहवें स्थान में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाए का समझना चाहिए। यह पाया बच्चे के परिवार के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

नक्षत्र का स्वर्ण पाया सही माना जाता है राशि का स्वर्ण पाया सही नही माना जाता है जो पाया स्त्री के लिये सुखकारी होता है वही पाया पुरुष के लिये हानिकारक माना जाता है। अगर राशि का पाया स्त्री का स्वर्ण है तो वह उत्तम माना जाता है और पुरुष केलिये स्वर्ण पाया राशि से खराब माना जाता है। पुरुष के स्वर्ण पाये मे जन्म लेने से या तो उसके जीवन में अल्प आयु का योग होता है या वह आजीवन अपने अहम और बुद्धिमान समझने के कारण आगे नही बढ पाता है इस कारण मे एक बात और भी देखी जाती है कि जातक को वास्तविक जीवन मे जाने के लिये माता पिता रोकते रहते है उसे गमले का पौधा समझकर पाला जाता है जातक का स्थानन्तरण होता रहता है इस प्रकार से व्यक्ति अपने सामाजिक पारिवारिक और व्यवहारिक जीवन को समझ नही पाता है फ़लस्वरूप वह एकान्त मे रहने वाला और अपने काम को खुद करने के बाद सफ़लता को नही लेने वाला होता है। सफ़लता के लिये जीवन की लडाई को लडना जरूरी होता है और जब जीवन की लडाई दूसरो के भरोसे से लडी जाती है तो कभी न कभी बडी असफ़लता हाथ ही लगती है.इस पाये के व्यक्ति को पिता का सुख कम मिलता है अपने पारिवारिक जीवन से जैसे चाचा चाची ताऊ ताई दादा दादी से दूरिया बनी रहती है।

रजत पाया सभी मायनो मे सही माना जाता है यह स्त्री जातक के लिये भी और पुरुष जातक दोनो के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। व्यक्ति अपने मानसिक कारणो को सम्भालने उन्हे बेलेन्स करने के लिये अपनी योग्यता को जाहिर करता रहता है सभी प्रकार के कार्य जो उसके जीवन के लिये प्रभावी होते है वह लोक रीति से सामाजिकता से एक दूसरे के मानसिक प्रभाव को जल्दी समझ लेने से पूरा करता रहता है उसे अपने जीवन मे लोगो की बुरी सोच का परिणाम भी सफ़लता के लिये आगे बढाने वाला होता है वह किसी कार्य के गलत होने पर उसे शिक्षा के रूप मे मानता है माता के साथ सम्बन्ध अच्छे रहते है पिता का ही लगाव सही रहता है लेकिन बहिनो की संख्या और स्त्री संतान की अधिकता होना माना जाता है,इस पाये मे जन्म लेने वाले जातक पानी के किनारे रहने पानी सम्बन्धी काम करने मे सफ़ल होते है.


ताम्र पाया तकनीकी दिमाग को प्रदान करने वाला होता है जातक बात का धनी होता है लम्बी आयु को जीने वाला होता है धन की कमी जातक को नही अखरती है वह अपने व्यवहार आदि से धन के क्षेत्र को कायम रखने वाला होता है खुद के लोग उस पर भरोसा करने वाले होते है जातक जो भी बात करता है उसे निभाने वाला होता है समय पर काम आने वाला होता है लेकिन अपने जीवन को दूसरो के प्रति बलिदान करने वाला भी होता है। जमीन जायदाद अचल सम्पत्ति और खनिज आदि कारको मे आगे बढता जाता है। भाइयों के लिये मित्रो के लिये और जान पहिचान वालो के लिये जीवन को बचाने वाला रोजाना की जिन्दगी मे अपने को आगे ही आगे बढाने वाला होता है। सन्तान सुख मे कमी रहती है लेकिन जो भी सन्तान होती है वह नाम कमाने वाली और परिवार का नाम रोशन करने वाली होती है मर्यादा मे तथा कायदे से चलने वाली होती है जीवन साथी से मतभेद होना और किसी न किसी बात पर आपसी कलह को भी होता देखा जाता है लेकिन जीवन साथी से दूरिया नही हो पाती है कुछ समय के लिये आपसी कलह तो हो सकती है लेकिन हमेशा के लिये नही माना जा सकता है जातक भोजन सम्बन्धी कारणो मे आगे रखने वाला होता है जातक का हाजमा भी सही होता है और जातक को भूख भी बहुत लगती है.तीखे भोजन मे जातक की अधिक रुचि होती है।

लोहे के पाये को खराब माना जाता है जातक या जातिका आलसी प्रवृत्ति के होते है चालाकी से काम करना एकान्त मे रहना मेहनत वाले काम करने के बाद केवल जीविका को चलाने के लिये माने जाते है दूसरो की सेवा करना और अपने श्रम के आधार पर ही जीवन को चलाना माना जाता है सन्तान भी आलसी होती है साथ ही जीवन मे कब पैदा हुये और कब मर गये इसका भी प्रभाव नाम और धन के क्षेत्र मे उजागर नही हो पाता है। माता पिता के लिये भी कष्टकारी होता है विद्या के क्षेत्र मे कमी रहती है विवाह आदि के क्षेत्र मे सरलता से जीवन नही चल पाता है जीवन साथी को एक प्रकार से जातक को ढो कर ले कर चलने वाली बात को माना जाता है वह बात चाहे अस्पताल सम्बन्धी कारण से बनी हो या जातक की अकर्मण्यता से मानी जाती हो जातक को शराब कबाब तामसी और नशे की आदते भी होती देखी जाती है नीचे लोगो से मित्रता और नीचे काम करने जुआ लाटरी सट्टा आदि के क्षेत्र मे अधिक रुचि देखी जाती है खेल कूद मे भी कम मन लगता है दूसरो को लडाकर खुद मजा लेने वाले लोग भी अधिकतर इसी पाये मे जन्म लिये हुये देखे गये है,हिंसा से बहुत अधिक प्रीति देखी जाती है दया भाव की कमी होती है ऐसे लोग अपने ही लोगो को ठग भी सकते है और धोखा भी देते देखे गये है।

स्वर्ण के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को सोने मे हरे रंग के नगीने पिरोकर गले मे पहिनना चाहिये जिससे उनके जीवन मे आहत होने वाले कारण कम होते है नारियल का दान देते रहना चाहिये,पिता की आयु की बढोत्तरी के लिये रोजाना सूर्य को अर्घ देना चाहिये पराये धन और स्त्री पुरुष से सम्बन्धो के मामले मे बचना चाहिये कारण इस पाये मे जन्म लेने वाले को यौन सम्बन्धी बीमारिया अधिक होती है,धारी वाले कपडे पहिनने से भी इस पाये का दोष कम होता है हाथ मे कलावा बांधने से भी दोष मे कमी होती है धार्मिक स्थानो मे जाना और माथा टेकते रहने से भी दोष कम होता है।

रजत पाये वाले व्यक्ति को तीर्थ स्थानो मे जाते रहना चाहिये और तीर्थ स्थान के जल को अपने घर मे या सोने वाले कमरे मे ऊंचे स्थान पर रखना चाहिये माता के कष्ट को दूर करने के लिये रोजाना शिव स्तोत्र का पाठ करना चाहिये चांदी के पात्र मे पानी या दूध पीना चाहिये,हरे रंग के कपडो का अधिक प्रयोग करना चाहिये,ठगी चालाकी आदि के कामो से दूर रहना चाहिये।

ताम्र पाये के दोष की शांति के लिये मन्दिरो मे या दान के स्थानो मे भोजन का दान करना चाहिये तांबे की कोई न कोई चीज अपने पास रखनी चाहिये भोजन मे मिर्च का अधिक प्रयोग नही करना चाहिये मीठा भी कम ही लेना चाहिये,भाइयों की सेवा करने से और मित्रो का सहयोग करने से भी इस पाये का दोष कम होता है।

लौह के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को अपने वजन के बराबर का लोहा शनि स्थान मे दान करना चाहिये आलसी प्रभाव को रोकने के लिये मिर्च का अधिक सेवन करना चाहिये लेकिन काली मिर्च का सेवन ही सुखकारी होगा,आंखो की ज्योति को बढाने के लिये घी काली मिर्च और बतासे को आग मे पका कर रोजाना सुबह को प्रयोग मे लेना चाहिये तुलसी की पत्ती काली मिर्च और नीम की टांची को रोजाना बासी पेट लेने से भी इस पाये का दोष दूर होता है लोहे का छल्ला दाहिने हाथ मे स्त्री और पुरुष दोनो को मध्यमा उंगली मे पहिनने से भी परिवार की कलह और घर के मतभेद दूर होते है।