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Wednesday, January 10, 2024

What slows down our spiritual awakening?

 

What slows down our spiritual awakening?



Many things can slow down our spiritual awakening, each acting like a roadblock on our journey of inner awareness. Here are some key factors to consider:

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Internal Obstacles:

  • Fear and Resistance: Fear of the unknown, of change, or of losing control can lead us to resist opening ourselves to deeper truths. We might cling to familiar, comfortable patterns, even if they don't truly serve us.
  • Ego and Attachment: Clinging to our ego, our sense of self and identity, can limit our spiritual growth. Attachment to worldly desires, possessions, and relationships can also distract us from our inner journey.
  • Judgement and Criticism: Judging ourselves and others for our past mistakes or perceived flaws can create negative energy and block spiritual progress. Self-acceptance and compassion are crucial steps on the path.
  • Laziness and Procrastination: Spiritual growth requires effort and dedication. Putting off practices like meditation, reflection, or connecting with nature can slow down our awakening.
  • Unrealistic Expectations: The spiritual journey is not linear or predictable. Expecting quick results or dramatic transformations can lead to disappointment and discouragement. Trusting the process and appreciating the gradual unfolding is key.
  • Follow(1 Free Reply) us on Facebook #jyotishgher || Instagram #jyotishgher But You have to share your birth charts.

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  • Alan Francis says That

The biggest reason by far way we use to slow down our “healing” or spiritual development is staying away from the present moment. It’s painful. In fact many of our roles are doing this automatically. We avoid the present moment like the plague.
This is the core reason. All our problems really stem from this. Look at your life and you will see this avoidance everywhere. We don’t like silence, we don’t like boredom, we have to distract ourselves.

External Obstacles:

  • Distractions and Busyness: In our fast-paced world, it's easy to get caught up in distractions and external demands. Prioritizing time for introspection and spiritual practices is crucial.
  • Misinformation and Doubt: Negative influences through media, societal expectations, or even well-meaning but misguided advice can create confusion and doubt about our own spiritual experiences. Be discerning and find trusted sources of guidance.
  • Toxic Relationships: Surrounding ourselves with people who are dismissive, negative, or unsupportive of our spiritual journey can create unnecessary obstacles. Setting healthy boundaries and finding a supportive community is essential.
  • Unfavorable Life Events: Difficult times like illness, loss, or hardship can challenge our faith and make it harder to connect with our inner peace. However, even these experiences can offer opportunities for deeper learning and spiritual growth.
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Remember:

The spiritual awakening is a personal journey, unique to each individual. There is no single path or guaranteed timeline. The key is to be patient, persistent, and kind to yourself. Embrace the challenges as opportunities for growth, practice self-compassion, and stay attuned to your inner guidance. By diligently attending to the obstacles, both within and without, you can remove the roadblocks and move closer to your spiritual awakening.

Here are some additional tips to support your spiritual growth:

  • Engage in regular spiritual practices: Meditation, prayer, reflection, spending time in nature, and connecting with sacred texts can all help you deepen your connection to your inner self.
  • Seek guidance from spiritual teachers or mentors: Connecting with a wise and experienced guide can provide valuable support and insights on your journey.
  • Create a supportive community: Surround yourself with people who encourage and inspire you on your spiritual path.
  • Trust your intuition: Develop your inner knowing and learn to listen to your intuitive guidance.
  • Practice self-care: Nurturing your physical, mental, and emotional well-being is essential for a balanced spiritual journey.

By taking these steps and embracing the challenges as opportunities for learning, you can continue to advance on your unique path to spiritual awakening.

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Tuesday, November 29, 2022

आखिर क्या है साधना का राज ?-What Is Spiritual Awakening

 

आखिर क्या है साधना का राज ?-What Is Spiritual Awakening



मनुष्य इस ब्रह्मांड का एक ऐसा लोता प्राणी है जिनके पास बुध्धि है. वह अपनी बुध्धि का इस्तमाल करके अपनी स्थिति के बारेमे सोच शकता है. उन्हें सुधार शकता है. उनका जो आजका जीवन है.. क्या उनसे उपर की कोई स्थिति है !! यह सोच शकता है.

कौनसी बात करे तो जीवन बहेतर बन पाए ये कर शकता है. अगर वह करना चाहे तो !! जो problems उनके सामने आते है उनको किस तरह से सुलझाये और क्या करे की फिर से ये न आये !! अपने वर्तमान जीवन से उपर कोई स्थिति पाई जा शकती है ये भी सोच शकता है. अपनी मर्यादाओ को पहचान कर वह उसे एक opportunity में बदल शकता है.



What is spiritual awakening :

spiritual awakening का सही मायने में एक मतलब मेरी नजर में जो है वो है

“अपने ईगो को छोड़ कर सहज भाव से रहना। यही नहीं जब आप में में का भाव और मेरी बेइज्जती होने का भाव ख़त्म हो जाता है तब आप समझ जाए की आपकी स्पिरिचुअल अवेकनिंग की यात्रा प्रारम्भ हो चुकी है।”

अक्सर देखने में आता है की जब ऐसा होता है तब हम खुद को बीमार सा महसूस करने लगते है ऐसा इसलिये होता है क्यों की हमारा body इस change के लिए खुद को ready करने लगता है।

यही वजह है की हम कुछ समय के लिए खुद को एकदम weak feel करते है लेकिन कुछ टाइम बाद एक नई energy से खुद को प्रचुर होते हुए महसूस कर सकते है। चलिए बात करते है top 10 spiritual awakening sign यानि aadhyatmik jagran ke mukhy laakshn kya kya hai


#1 बदलाव के अनुसार खुद को शो करना :

हम जैसे है वैसे ही खुद को शो करने लगते है तो जाहिर सी बात है की अपने अंदर आए इन बदलाव को दुसरो के सामने रखते है। हम दोस्तों के साथ अपने बदलाव को एक बड़े व्यक्ति की तरह पेश करते है या फिर हमारा social media account स्पिरिचुअल चीजों से भरने लगता है।



#2 spiritual awakening – हर किसी से प्यार का भाव रखना :

हम अपने आस पास की हर वस्तु को love करने लगते है फिर चाहे वो जानवर हो या पेड़-पौधे। हमें nature की बनाई हर चीज अच्छी लगने लगती है फिर चाहे वो कोई भी हो। ये ऐसा बदलाव है जिसमे हमारे अंदर का ईगो और घृणा का भाव ख़त्म हो जाता है। अगर इस दौरान हम खुद को स्थिर बना सकते है तो हम प्रकृति के change को भी समझ सकते है।

#3 दुनिया की बजाय खुद को बदलने पर ध्यान देना :

हम उन लोगो की परवाह नहीं करते है जिनका हमें पता होता है की वो झूठा दिखावा कर रहे है। जैसे की नेता या अभिनेता या फिर समाज का कोई और व्यक्ति और हम उन्हें दोष देने की बजाय खुद में बदलाव लाने के बारे में सोचते है और एक्शन लेना शुरू करते है।


#4 spiritual awakening – खुद की प्रॉब्लम को हील करना :

हम लोगो के सहारे रहने की बजाय खुद की problem का solution खुद करने के बारे में aware होने लगते है। हमें पता होता है की खुद की समस्या का कैसे हल करना है और कैसे उससे उबरना है। दुसरो के अंदर की कमियों को देखने की बजाय हम खुद को better बनाने पर ध्यान देने लगते है। जिससे हमारा physical, mental  और spiritual level पर development होता है। इससे हमें सबसे बड़ा benefit ये होता है की हम किसी से कोई उम्मीद नहीं रखते है न ही बेवजह परेशान होते है।

#5 प्रकृति को जानकर उसके नियम को मानना :

हम जान जाते है की प्रकृति और उसके नियम हमारे भले के लिए है और जो होता है प्रकृति की मर्जी से होता है और हम उसमे कोई interfare नहीं करते है। ज्यादातर लोग जो power पाने के बाद में ये कर दूंगा वो कर दूंगा इसी realization से गुजर कर relax हो जाते है क्यों की तब वो nature के rule को सही तरह से समझ पाते है। हम जो भी कार्य करते है या फिर कुछ भी खाते है उसका हम पर क्या असर होगा से पूरी तरह जागरूक होते है।

life का real meaning क्या है हमें समझ आ जाता है। खुद को relax करने की process और meditation दोनों से हम अपने soul के पास और पास आने लगते है।


#6 यूनिवर्सल वाइब्रेशन को महसूस करना :

हम नई नई चीजों को बेहतर तरीके से सीखने लगते है। साथ ही हमारी बॉडी यूनिवर्सल वाइब्रेशन को बेहतर तरीके से एक्सेप्ट करने लगती है। universal frequency हमसे connect होने लगती है जिससे हम खुद की बीमारियों पर काबू पाने लगते है हमारा शरीर पहले से ज्यादा बेहतर बनने लगता है।

#7 subconscious mind का active रहना :

हमारा subconscious mind हमें समय time पर सही समय के बारे में inform करवाने लगता है। जैसे की कोई भी कार्य जिस वक़्त पर होना चाहिए हमें subconscious mind पहले ही अवगत करवाने लग जायेगा की अब right time आ गया है।

#8 spiritual awakening – खास समय पर खास स्थिति :

पुरे दिन भर में एक खास समय हम स्पेशल वाइब्रेशन महसूस करने लगते है जो हमें सब कामो से भुला कर उस अवस्था में ले जाता है जो बहुत गहरी और दुर्लभ है जैसे की एक खास समय पर आपका शरीर खुद-ब-खुद शांत हो जाना जो पहले आपके meditation का time था।

#9 टाइम का सही तरीके से सदुपयोग :

समय की गति को सही तरीके से समझने लगना। हमे पता चलने लगता है की किस समय किस काम का होना बेहद जरुरी है।

#10 ईमानदारी और सच्चाई की राह पर चलना :

हम सच्चाई की राह पर चलने लगते है क्यों की तब हमें पता चलने लगता है की सच अगर थोड़े टाइम के लिए दबा भी दिया जाए तो भी सच ही रहता है। अंदर से जो भाव बनते है वो सच की राह से जुड़े होते है।

दोस्तों ये थे spiritual awakening के कुछ ऐसे sign जो हमें ये समझने में मदद करते है की जो बदलाव से हम गुजर रहे है वो किस वजह से है। आज की पोस्ट पर कमेंट कर हमें बताए की आपको ये पोस्ट कैसी लगी।


अध्यात्म का वर्तमान उपोयोग ?- what is spiritual intelligence

आज modern spirituality का समय आ गया है. उनके बारेमे काफी सारे philosopher आगे आये है. वह अपनी ज्ञान की गठरी खोल रहे है लेकिन उनको एक सैध्धान्तिक तरीके से नही दर्शाया है. इस ब्लॉग और हमारी चेनल के माध्यम से हम ये करने की कोशिस करते रहते है.




सामान्य रूप से लोगो को मानना है की spirituality का use निवृति ज्ञान के लिए होता है. लेकिन प्राचीन वैदिक समय में राजाओं महाराजाओं अपने राज्य को बहेतर तरीके से चलाने के लिए और अपने जीवन में उच्च मूल्यों को स्थापित करने के लिए उनका उपयोग करते थे. क्योकि ये ज्ञान हमे उपर उठाता है ताकि हम दिव्य बन शके

राजा जनक, दशरथ, भरत, भगवान राम, श्री कृष्ण, और काफी सारे महाराजे उनका उपयोग करते थे !! ये शिखाने के लिए आश्रम थे. वहा राजकुमार अपने जीवन के शुरुआती दौर में रहते थे. गुरु की सेवा करते थे और ये विद्या शिखते थे.

इस ज्ञान का उदबोधन भगवान ने गीता में भी किया है. परमात्मा ने कर्म को इस तरह से करने को कहा की कर्म के साथ साथ उपर भी उठा जाये.

इसी लिए भगवान कहते भी है की योग: कर्मसु कौशलम् मतलब की कार्य को कुशलता से करना योग है. आज हम कुछ मुद्दे पर बात करेगे जो जीवन को उपर उठाये. उनके साथ साथ हम यह भी सोचेगे की हमे क्या चाहिए ? और क्या करना है ?

ऐसा ख्याल क्यों आया ?- What is positive spirituality?

जीवनमें बहुत सारी बाते ऐसी होती है की हमे मालूम ही नही होती की यह क्या है ? और समय बीत जाता है !! जो आफते, मुश्किले, विपरीत समय जीवन में आते है, उनके आधार पर बहुत सारे बर्षो के बाद ये कुछ नियमावली बनाई दी गई है. ये अनुभव का नतीजा है.

इसमें नई बात नही लेकिन एक व्यवहारिकता छिपी हुई है..आखिर क्या मानवीय जीवन और उनके अस्तित्व को उपर उठाया जा शकता है ? मतलब की क्या वर्तमान समय हमे आनद और प्रशन्नता का अहेसास हो शकता है.. जो बेड़िया हमें डाली गई है क्या ये दूर हो शकती है हालाकि हमे तो उनके बारेमे मालूम ही नही ?

उनका कोई उकेल है ? या इसी तरह से समय की मार को ही हम सुख और दुःख समजते रहे !! क्या इन सबसे उपर कोई अहेसास है ? शरीर और मन से उपर कोई सत्ता है जो हमे निरंतर आनद दे शके ? इन्ही प्रश्नों के आधार पर ये साधना और ब्रह्मचर्य का उद्भव हुवा है..

आपको क्या चाहिए ?- what is your needs and wants

अगर हम अपने आप से ही पूछे की हमे क्या चाहिए ? तो उनका उत्तर क्या होगा ? सामान्य सूत्र है रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की जरूरत है. इसमें सब कुछ आ जाता है. मतलब की हरेक व्यक्ति को जीवन जीने के लिए, अपने शरीर को टिकाने के लिए ये चाहिए ये शुरूआती जरूरत है.

उनसे आगे अपने जैसे दुसरे जिव उत्पन्न करने की चाह में सादी, sex की इच्छा, सजातीय विजातीय आकर्षण विगेरे आ जाता है. मोजशोख, ऐसो आराम, इन्द्रिय के विषयों को और ज्यादा उत्तेजित करे ऐसी भोग विलास की वस्तुऐ भी वह चाहता है. कितना भी दुखी हो फिर भी बार बार यही करने की उनकी इच्छा हो जाती है.

अगर कोई इनसे उपर उठे तब भी रूतबा status, सन्मान प्राप्त करना, कोई उनको ,मान दे, अपनी एक पहेचान हो, उनका order सब कोई फोलो करे. पैसा धन, बहुत सारी सम्पति प्राप्त करना, use हो या न हो फिर भी वह बहुत सारी सम्पति इकठ्ठी करता रहता है. हमारे ग्रंथो में उसे वित्तैषणा, पुत्रैषणा और लोकैषणा कहा गया है.

ये सब जीवन की प्रारंभिक जरूरियात न होते हुवे भी धीरे धीरे एक के बाद एक प्रगट होती जाती है. ये एक झाल है उसे माया भी कहते है. उनके बारेमे जितना सोचो वह उतनी ही ज्यादा विकराल होती जाती है. इतना ही नही बुरे से बुरे कर्म भी कराती है.

जरूरियात के साथ हमे आनंद, प्रशन्नता भी मिले-how to feel happiness in life

लेकिन बात इतनी ही नही हमें ये सब क्यू चाहिए ? जीवन टिकाने के लिए जो है उनसे बहुत ज्यादा हम पाना चाहते है क्यों ? क्योकि हम प्रसन्न रहना चाहते. हमे ख़ुशी चहिये. हमे आनंद चाहिए. हम ऐसा चाहते है की हमारे जीवन में दुःख हो ही नही !!

लेकिन कब असंतोष, ट्रेश, चिंता, भय, उद्वेग, depression आ जाता है हमे मालूम ही नही रहता. मतलब की

हम सुखी, आनंदित और अपने आप को हर हमेंशा प्रशन्न रखना चाहते है. लेकिन धीरे धीरे इन सारी बातो में मन इतना उलझ जाता है की इन सभी विषयों की सुरक्षा और चिंता हम करने लगते है !! यहा तक की उस विषयों के बदले हम अपना सुख चैन भी दाव पर लगा देते है.

केवल तन और मन के आधार पर जिए तो क्या होगा ? Think beyond mind and body

शरीर और मन जो चाहता अगर वही हम करते रहे तो पशुत्व की और आगे बढने में हमे कोई नही रोक शकता ? आप कहेगे ऐसा क्यों होता है ऐसा इसलिए होता है की जो इन्द्रिय हमारी है उनका भोग करते रहना ऐसी ही इच्छा मन में बार बार प्रगट होती है..

इनका कोई माप नही रहता.. यह बात खान पान की हो, या सम्भोग की इच्छा हो, या सत्ता सम्पति और ऐश्चर्य की हो.. ओंर भी ज्यादा..ओर भी ज्यादा के सुर गुजते है और आदमी अतृप्त हो के नंगा नाच करने तक नही रुकता..

यही बात मुश्किलें खड़ी कर देती है क्योकि अगर विवेक नही तो इसमें अपने आप ब्रेक लगती ही नही.. ऐसा क्यों होता है ? बहुत ही आसन है पुनरावर्तित क्रिया करने का जो गुण है और विषयों के प्रति जो लगाव है वही हमे ये सब कराता है..

जो आज किया वह कल करने की इच्छा होने लगती है.. क्योकि आज जो किया है उनके संस्कार भीतर स्टोर है और वही संस्कार फिर से उठते है और कुछ करने के लिए प्रेरित करते है.. दूसरी बात है अधुरप.. यह बहुत ही गहन है..

अगर आप मुझसे लम्बे समय तक जुड़े रहेगे तो आपको धीरे धीरे ये बात समज में आने लगेगी..स्व के अनुभव के बिना जो केवल बाह्य तमाशा देखते रहता है उसे भटकाव आ जाता है.. ये अँधेरा ऐसा है जो सोने से खड़ा हो जाता है और जागने से खत्म हो जाता है..

इनका कोई वजूद नही फिर भी है और दीखता भी है .. उनको झेलना आसान नही.. उनका वेग बहुत ही दुःख दायक और भयावह है.. अगर व्यक्ति को समुचित तरीके से जीना हो, आनंद से जीना हो और उपर उठते हुवे जीना है तो तन और मन को कोई एक मार्ग पर चलाना होगा..

जहा पर ब्रेक भी हो एक्सेलेटर भी हो.. युवा है तो केवल विषय ही चाहिए ऐसी सोच धीरे धीरे युवा के यौवन्त्व को खा जाएगी.. क्योकि उनकी पूरी शकती विषयों की और चली जाएगी. जो इश्वर से शकती मिली है वह शुल्लक बातो में बीत जाएगी.

अगर कोई इनके पीछे सोचे तो कुछ नही है स्त्री के शरीर के बारेमे सोचने वाले उनके शरीर के पीछे देखे तो कुछ हाथ नही आता.. इस तरह से ये एक अज्ञान ही है.. कोई अगर लम्बे समय से विषयों का भोग कर रहा है तो उनके अस्तित्व में कोई सुधार नही आया.. वह तृप्त भी नही हुवा..

बल्कि उनकी सेहत और स्वभाव दोनों बिगड़ता जा रहा है तो ये केवल पागलपन ही तो हुवा न !! अगर उसमे कुछ होता हो तो केवल यही करने से पूर्ण तृप्ति क्यों नही मिलती ? यहा से ही साधना का जन्म होता है modern spirituality से देखे तो हमे रूटीन जीवन इस तरह से जीना है की हमारी यात्रा आनंद और प्रशन्नता से भरपूर हो. हमे प्रत्येक कदम कदम पर तृप्ति का अहेसास हो.