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Monday, October 17, 2022

दिवाली पूजा विधि - Diwali Laxmi Ganesh Kuber Puja Mantra

 दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi

दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.दिवाली पर लक्ष्मी पूजा सहित विघ्नहर्ता श्रीगणेश एवं माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। ऐसे में महालक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने पर देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

प्रदोष काल मुहूर्त

श्री गणेश, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान, अपने सेवकों को वस्तुएं दान करने के लिये शुभ रहेगा. प्रदोष काल मंदिर मे दीप दान, रंगोली और पूजा की पूर्ण तयारी कर लेनी चाहिए. इसी समय मे मिठाई वितरण कार्य भी संपन्न कर लेना चाहिए. द्वार प़र स्वस्तिक और शुभ लाभ का सिन्दूर से निर्माण भी इसी समय करना चाहिए.

पूजा की सामग्री

  1. लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
  2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
  3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
  4. रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.

पूजा की तैयारी

चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.

लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.

  1. ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
  2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
  3. फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)

इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्व्यं बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.

लक्ष्मी पूजन विधि

आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए.

हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये.

Diwali Puja Mantra Shloka Hindi Sanskrit

एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें –

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्‍थां गतोपि वा । य: स्‍मरेत् पुण्‍डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।

अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –

पृथ्विति मंत्रस्‍य मेरुपृष्‍ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्‍द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।

ॐ पृथ्‍वी त्‍वया धृता लोका देवि त्‍वं विष्‍णुना धृता । त्‍वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।

पृथ्वियै नम: आधारशक्‍तये नम: ।।

यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –

ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।

मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –

या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्‍वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।

मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –

आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि।।

फूल चढ़ाएं –

नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम्।

आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम्।।

श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि।।

पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते।।

श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि!

नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण।

गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम्।

गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले।।

श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा।।

माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें –

गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै:। स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे।। आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व:। तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी:।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि।।

वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –

दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।

उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।

।।श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि।।

इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –

रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च।

सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे।।

क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम्।

अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।

सिंदूर –

ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये । भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् समर्पयामि।।

कुमकुम –

ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम समर्पयामि।।

चावल –

अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् समर्पयामि।।

गंध –

श्री खंड चंदन दिव्‍यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्‍मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै चंदनं समर्पयामि।।

फूल –

यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं समर्पयामि।।

क्षमा-प्रार्थना करें

पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-

मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।

दिवाली की पूजा विधि (Diwali 2022–2023–2024–2025 Puja Vidhi) | Tips

  • दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • घर के प्रवेश द्वार को रंगोली और दीयों से सजाएं।
  • पूजास्थल पर एक चौकी स्थापित करे व उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर माँ लक्ष्मी व श्रीगणेश की मूर्ति की स्थापना करे।
  • अब जल से भरा एक कलश चौकी के पास रखें।
  • देवी लक्ष्मी एवं श्रीगणेश की मूर्ति पर तिलक लगाकर दीपक प्रज्जवलित करे।
  • इसके बाद जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
  • अब हाथ जोड़कर देवी लक्ष्मी की स्तुति करें।
  • माँ लक्ष्मी सहित माँ सरस्वती, मां काली, श्रीहरि विष्णु व कुबेर देव की पूजा भी विधि विधान से करें।
  • पूरे परिवार को एकत्रित होकर महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
  • देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते एवं व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।
  • पूजा के बाद श्रद्धाभाव से ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा देनी चाहिए।

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।

माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।

लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।

सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा

जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

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लक्ष्मीजी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता

कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता

तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

IN ENGLISH LET ME WRITE FOR YOU:

Why we do Ganesh-Laxmi Puja on Diwali:

Diwali is not just a festival but also considered as a beginning of a new phase in our lives. It is believed that Maa Laxmi visits every house in Diwali carrying a pot full of wealth, good luck and prosperity. We worship Lord Ganesha with Laxmi ma because Ganesh ji is the God of wisdom and he is known to remove all the obstacles in one’s life while Laxmi Ma is Goddess of wealth. We worship them together on Diwali so that we get wisdom along with wealth and all our life obstacles are removes. And obviously, without wisdom, wealth cannot stay longer with you.

This is the reason why we worship Laxmi-Ganesh on Diwali, in order to invite wealth, prosperity, abundance, good luck and wisdom.

How to do Diwali Puja at Home?

Every Diwali the Muhurat (favourable time) for Diwali puja is different. This year in 2022, Diwali is on 24 October and the Puja Muhurat starts at 6:54 pm to 8:18 pm.

In my family, we begin with taking bath and wearing new clothes before the puja. The puja-ghar or altar is cleaned and decorated on Dhanteras (2 days before) it self. So, we set up the puja things in the room to prepare for puja. After this, we do the following steps:

  • Spread a new red cloth
  • Sprinkle some rice on it and touch it to seek blessings
  • Place a kalash in the middle of it, fill it with ganga jal and some rice.
  • Cover it with mango leaves
  • Put a tilak on it
  • Now on one aasan, place the Ganesh-Laxmi idols
  • Start the puja by sprinkling ganga jal, making them wear new clothes and garlands, putting tilak and offering them flowers sweets, dry-fruits and fruits.
  • Then light 9 earthen diyas for 9 planets (this is done to balance and calm all the 9 planets and seek blessings)
  • This ritual to worship the God and Godness and the kalash is done by everyone in the house

The Diwali puja is also to be done in your office and seek blessings of the almighty. So, because 90% of our work is done by phones and laptops, we also worship it. We put the work-related gadgets in front of the God and Goddess and worship it by making a swastik on it, sprinkling rice and flowers on it. We then keep it for some time in the puja ghar only.

Some people also put their cash chest, cash box, locker keys and account books too. After from this, it is also a good ritual to take a bowl and ask every earning member of the family to put some money into the money bowl which resembles inviting prosperity and wealth to our home.

An aarti is performed and prasaad is distributed to conclude the Diwali puja ritual. We then light the diyas and candles and celebrate it further by burning crackers, eating sweets and meeting and greeting the loved ones.

This is how I do Diwali puja at home. Hope this helped you! Don’t forget to share!

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Sunday, October 2, 2022

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
यह पृष्ठ कृष्ण जन्माष्टमी के समय की जाने वाली श्री कृष्ण पूजा के सभी चरणों का वर्णन करता है। इस पृष्ठ पर दी गयी पूजा में षोडशोपचार पूजा के सभी १६ चरणों का समावेश किया गया है और सभी चरणों का वर्णन वैदिक मन्त्रों के साथ दिया गया है। जन्माष्टमी के दौरान की जाने वाली श्री कृष्ण पूजा में यदि षोडशोपचार पूजा के सोलह (१६) चरणों का समावेश हो तो उसे षोडशोपचार जन्माष्टमी पूजा विधि के रूप में जाना जाता है।

1. ध्यानम्
भगवान श्री कृष्ण का ध्यान पहले से अपने सम्मुख प्रतिष्ठित श्रीकृष्ण की नवीन प्रतिमा में करें।

2. आवाहनं
भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करने के बाद, निम्न मन्त्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सम्मुख आवाहन-मुद्रा दिखाकर, उनका आवाहन करें।

Krishna Avahana Mantra in Hindi
3. आसनं
भगवान श्री कृष्ण का आवाहन करने के बाद, निम्न मन्त्र पढ़ कर उन्हें आसन के लिये पाँच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने छोड़े।

Krishna Asanam Mantra in Hindi
4. पाद्य
भगवान श्री कृष्ण को आसन प्रदान करने के बाद, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए पाद्य (चरण धोने हेतु जल) समर्पित करें।

Krishna Padya Mantra in Hindi
5. अर्घ्य
पाद्य समर्पण के बाद, भगवान श्री कृष्ण को अर्घ्य (शिर के अभिषेक हेतु जल) समर्पित करें।

Krishna Arghya Mantra in Hindi
6. आचमनीयं
निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए आचमन के लिए श्रीकृष्ण को जल समर्पित करें।


7. स्नानं
आचमन समर्पण के बाद, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को जल से स्नान कराएँ।

Krishna Snanam Mantra in Hindi
8. वस्त्र
स्नान कराने के बाद, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को मोली के रूप में वस्त्र समर्पित करें।

What are the best remedies in astrology that work surprisingly?

What are the best remedies in astrology that work surprisingly?
Location of Death

Sun - Sandal Wood Paste

Moon - Dhoop ( Inscence Sticks )

Mars - Kum Kum

Mercury - Kapoor (Camphor)

Jupiter - Amber

Venus - Lavanga(Elaichi)

Saturn - Karumuli

Rahu - Mustard

Ketu - Vermilion

So, now, if you have any of the above planets weak, then you can do remedies by donating the above items in temple or worshipping God by that material.


1. Sun - Apply Sandalwood paste on your forehead every morning, or worship Surya Dev by offering water of sandal wood paste to the rising Sun, and reciting 'Om Suryaye Namah'

2. Moon- Worship Shiv Parvati by lighting Dhoop (Agarbatti) and recite Shiv Mantra for calm and peaceful mind. Never waste water.

3. Mars- Offer Kum Kum to Lord Hanuman in every Tuesday or donate Kum Kum in a temple.

4. Mercury - Pray Lord Vishnu by Ghee and Kapoor everyday in morning or evening.

5. Jupiter - Donate amber in temple everyday or yellow turmeric with yellow cloth for weak jupiter.

6. Venus- If you have Goddess Laxmi idol in home, then offer cardamom(elaichi) on every friday.

7. Saturn- Donate Sesame seeds in Shani Temple or worship peepal tree with black til (Sesame) on Saturdays.
https://www.dailymotion.com/video/x8e4dde

8. Rahu - You can worship peeple tree or Rahu diety Image by lighting mustard oil lamp on Saturday night.


These are some of the remedies which are related to the scented materials, and how are these materials so beautifully related to each planet.

Sunday, September 25, 2022

Astrological Causes of Stomach Problems

 

Monday, September 5, 2022

How to do Pitru Paksha puja at home | घर पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध

 

How to do Pitru Paksha puja at home




महाभारत और पद्मपुराण सहित अन्य स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त सामर्थ्य के अनुरूप पूरी विधि से श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। घर-परिवार में शांति होती है। व्यवसाय तथा आजीविका में उन्नति होती है। साथ ही हर तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं।

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इस तरह घर पर ही कर सकते हैं श्राद्ध और तर्पण - 

1 - श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से दिन के 12 बजकर 24 मिनट की अवधि के बीच ही श्राद्ध करें। 

2 - इसके लिए सुबह उठकर नहाएं, उसके बाद पूरे घर की सफाई करें। घर में गंगाजल और गौमूत्र भी छीड़कें। 

3 - दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें। 

इस दौरान ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर और ग्रहन्तु जलान्जलिम’ का जप करें. अब उसे पितरों का नाम लेते हुए पृथ्वी पर गिरा दें. इसी तरह 5, 7 या 11 बार अंजली दें. जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें.  जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो. उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. भोजन कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं.  

4 - घर के आंगन में रंगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध के अधिकारी व्यक्ति यानी श्रेष्ठ ब्राह्मण को न्यौता देकर बुलाएं। ब्राह्मण को भोजन करवाएं और  निमंत्रित ब्राह्मण के पैर धोने चाहिए। ऐसा करते समय पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए। 

5 - पितरों के निमित्त अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पण करें। ब्राह्मण भोजन से पहले पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालें।

6 - दक्षिणाभिमुख (दक्षिण दिशा में मुंह रखकर) होकर कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें और एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद भोजन थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसें।

7 - प्रसन्न होकर भोजन परोसें। भोजन के उपरांत यथाशक्ति दक्षिणा और अन्य सामग्री दान करें। इसमें गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक (जिसे महादान कहा गया है) का दान करें। इसके बाद निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद लें। ब्राह्मण को चाहिए कि स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें तथा गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।

8 - श्राद्ध में सफेद फूलों का ही उपयोग करें। श्राद्ध करने के लिए दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से जरूरी है।


पितृ पक्ष का महत्व
खुशहाल और संपन्न जीवन व्यतीत करने के लिए बेहद आवश्यक होता है कि हमारे जीवन में पितरों का आशीर्वाद बना रहे. हालांकि यदि किसी गलती की वजह से हमारे पितृ हमसे नाराज हो जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में पितृदोष जैसा बड़ा दोष लग जाता है. ऐसे में पितृपक्ष का यह समय पितृदोष जैसे गंभीर दोष से छुटकारा पाने और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए बेहद ही फलदाई बताया गया है. इस दौरान किए जाने वाले कर्मकांड और पूजा आदि से हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद बनाए रखते हैं.


श्राद्ध विधि
श्राद्ध में तिल, चावल, जौ, कुश आदि का विशेष महत्व बताया गया है. इसके अलावा इन सब में सबसे ज्यादा तिल और कुश का महत्व होता है. किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध उनके पुत्र, उनके भाई, या फिर पौत्र, पर पौत्र, और महिलाएं भी कर सकती हैं. हालांकि पुराणों में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को ही होता है.


श्राद्ध में कौवों का महत्व
श्राद्ध के दौरान कौवों का विशेष महत्व बताया गया है. इस दौरान गलती से भी कौवों का अनादर न करें और हमेशा उनके लिए खाना बना कर निकालें. ऐसा इसलिए क्योंकि उनको पितरों का रूप माना जाता है. कहते हैं कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितृ कौवों का रूप धारण करके हमारे घर आते हैं. ऐसे में अगर हम गलती से भी उनका अनादर करते हैं या उन्हें भोजन नहीं देते या फिर उन्हें दुत्कार देते हैं तो इससे हमारे पितृ हमसे क्रोधित हो जाते हैं और ऐसा करने से हमारे जीवन पर पितृदोष भी लग सकता है. यही वजह है कि हमेशा श्राद्ध का पहला भोजन कौवों को दिया जाता है



The Pooja Vidhi is as follows:ENGLISH

Place a wooden stool in the southern direction. Take a white cloth and cover the stool. On the cloth, spread barley seeds and black sesame seeds. Keep a photograph of your ancestor on it. Instead of the photograph, you can also use Kusha grass, as it is believed to have Lord Vishnu particles in it. The next step is to invite the ancestor or ancestors for whom the pooja is held. Call their name (including surname) in this manner, “We, the entire family, invite you to visit our home during this period of Pitru Paksha.”Then take a bronze or copper utensil and fill it with water. To this, add some cow’s milk (raw), sesame seeds, rice, barley, too. Then keep the vessel before the image.  


The mantra chanted during this puja is -

“ये बान्धवा बान्धवा वा ये न्यजन्मनि बान्धवा:।

ते तृप्तिमखिला यान्तु यश्र्चास्मत्तो भिवाञ्छति।।”

Making the Pinda 

Take cooked rice and add honey, milk, and gangajal. Make a ball of this rice mixture and keep it before the ancestor’s image. The rice ball should be placed on a leaf. The ball is called Pinda, and it’s used in the Pinda Daan ritual. After completing the ritual, the rice ball can be offered to a cow. If there is a river nearby, it can be immersed in the river also.

Another method 

In case, you cannot perform the abovementioned ritual, there is another method. Take a roti and put a little ghee and jaggery on it. This should be offered to the ancestor by placing it before the ancestor’s image. This can be done every day, and then the roti can be given to a cow. Apart from this pooja, you must also invite a priest to your home and offer him food and new clothes on this day. 

Jaggery and Ghee Offering 

Yet another offering to ancestors is possible. A cow dung cake should be burnt almost completely, and then some ghee should be poured on it. Then keep a small bit of jaggery on it. If the jaggery piece is fully burnt, we can conclude that the ancestors have consumed it. 

By performing the Pitru Paksha Amavasya Pooja, we express our gratitude to our ancestors. It is a way to honor and remember them for all that they have given us. When we perform the Pooja, we will receive their blessings as they will be pleased with us. This will enable us to lead a happy and prosperous life. 


Sarvapitri Amavasya is the last of the Pitru Paksha. On this day, if one does not know about the death of any deceased soul, they can perform their Shradh on this occasion. Another ritual known as Tarpan, done with Indian puja items, include feeding all the Brahmins and doing pind daan to please the dead ancestors. The offering given consist of ghee, honey, sugar, ice, and the milk fo the cow. On the day of Tarpan, an offering is made with water mixed with grass, barley, white flour, kusha grass, black sesame to reduce the effect of the evil Sarpa Dosha.