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Wednesday, January 9, 2019

श्री गणेश चालीसा हिंदी में Shree Ganesh Chalisa

श्री गणेश चालीसा हिंदी में
Shree Ganesh Chalisa

              जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल, विघ्न हरण मंगल करण।



जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चंवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥ 

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुं कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥



श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धरी ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्वत् अयन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥ 


लहसुनिया रत्न | Lehsunia Stone

 Cat Eye gemstone benefits in hindi – लहसुनिया केतु का रत्‍न है जो कि बेहद चमकीला होता है।


लहसुनिया का हर राशि पर प्रभाव
लहसुनिया हर राशि पर अलग-अलग प्रकार से कार्य करता है। 
मेष- यदि इस राशि के जातकों की कुंडली में केतु पांचवें, छठे, नौवें या बारहवें भाव में है तो उन लोगों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। यह पत्थर विशेष रूप से तब पहनना चाहिए, जब केतु जन्म कुंडली में एक निर्णायक स्थिति में हो। रत्न की उपयुक्तता का परीक्षण करने के लिए उसका कम से कम तीन दिन तक परीक्षण ज़रूर करें।

वृषभ- यदि केतु आपकी कुंडली में नवम या एकादश भाव में स्थित हो तो इस राशि के जातकों को लहसुनिया ज़रूर पहनना चाहिए। आपको भी यह रत्न तीन दिन पहन कर ज़रूर देखना चाहिए।

मिथुन- इस राशि के जातकों को लहसुनिया तब ही पहनना चाहिए जबकि केतु नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो। आपको भी इस रत्न को पहनने के लिए तीन दिन का प्रशिक्षण ज़रूर करना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु छठे, नौवें या ग्यारहवें भाव में स्थित है तो आप भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। शुरू में इस रत्न को तीन दिन पहनकर ज़रूर देखें।


सिंह- यदि आपकी कुंडली में केतु अष्टम, नवम व एकादश भाव या फिर किसी संदिग्ध स्थिति में है तो 

आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। रत्न का असर जानने के लिए तीन दिन का ट्रायल ज़रूर करें और तभी जारी रखें जबकि प्रभाव शुभ हो।





कन्या- कन्या राशि के जातक जिनकी जन्म कुंडली में केतु चतुर्थ, नवम व तृतीय भाव में स्थित है, या फिर केतु हावी है तो वो लोग लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन रत्न को पूरी तरह से अपनाने से पहले तीन दिन पहन कर उसके प्रभाव पर नज़र डालें।


तुला- जब केतु कुंडली में द्वितीय, तृतीय या फिर एकादश भाव में हो या हावी हो, ऐसी स्थिति में इस राशि के जातकों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन का ट्रायल अवश्य करें।


वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक केवल तब ही लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं, जब आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में हो या फिर हावी हो। शुरू में तीन दिन इस रत्न का परीक्षण ज़रूरी है।


धनु- केतु के संदिग्ध या द्वितीय, चतुर्थ, नवम या द्वादश भाव में स्थित होने पर धनु राशि के जातक इस रत्न को धारण कर सकते हैं। आपके लिए भी तीन दिन का ट्रायल आवश्यक है।



मकर- मकर राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु दूसरे, चौथे, नौवें या बारहवें भाव में है या फिर किसी प्रभावित स्थान पर है तो आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन तक रत्न के प्रभाव को ज़रूर देखना चाहिए।
कुंभ- आपकी कुंडली में यदि केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में स्थित हो या फिर मज़बूत हो तो आपको लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। रत्न धारण करने से पहले तीन दिन का परीक्षण ज़रूर कर लें।
मीन-आप इस रत्न को केवल तब ही धारण कर सकते हैं जबकि आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, नवम या दशम भाव में स्थित हो या फिर कुंडली में हावी हो। शुरू में तीन दिन तक ट्रायल करें, यदि उसका प्रभाव अच्छा दिखें, तब ही केवल उसे पहने रखें।






Tuesday, September 4, 2018

भाग्य रेखा:आय के दो तरीके




हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हथेली पर पाए जाने वाले चिन्हों व रेखाओं से जीवन में धन लाभ कब होगा व कितना होगा, ... साथ ही भाग्य रेखा पर किसी प्रकार के अशुभ निशान न हो तो व्यवसाय में सफलता मिलने की ओर संकेत करता है। ... हथेली में शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के पास आकर दो या इससे अधिक रेखाएं आकर ठहरती हैं, तो अनेक तरफ से धन और सुख ... जीवन रेखा सही तरीके से घुमावदार हो।