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Monday, January 14, 2019

Tiger stone benefits in hindi|English How To Use Tiger Stone |Tiger Eye Totka


Tiger stone benefits in hindi|English How To Use Tiger Stone |Tiger Eye Totka





काला जादू और भूत-प्रेत से रक्षा के लिए खासतौर पर टाइगर आई स्टोन पहना जाता है। ये स्‍टोन बुरी नज़र से भी बचाता है और आपके आसपास की नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है।

टाइगर आई स्‍टोन के लाभ

  • भूत-प्रेत और जादू-टोने से बचने के लिए आपको टाइगइ आई स्‍टोन पहनना चाहिए। इसे पहनने के बाद आपके आसपास कोई प्रेत आत्‍मा नहीं आ सकती क्‍योंकि यह आपको बुरी शक्‍तियों से लड़ने की शक्‍ति भी देता है।
  • यह रत्न उन व्यक्तियों के लिए भी शुभ फल प्रदान करता है । जिनका भाग्य सोया हुआ हो । मेहनत का फल बराबर नही मिल रहा हो , पग-पग पर विभिन्न परेशानियों एवं संघर्षो का सामना कर पड़ रहा हो। जीवन में मृत्यु तुल्य दुःख भोग रहा हो , यश कीर्ति की कमी हो , दुश्मनों से परेशान हो , गरीबी , दरिद्रता जाने का नाम ना ले रही हो ।
  • बार-बार वाहन दुर्घटना हो जाती हो तो प्राण प्रतिष्ठित टाइगर स्टोन मंगलवार के दिन धारण करे ।
  • यदि आप निरन्तर कर्जे में डूबते जा रहे हो तो शुक्रवार के दिन सिद्ध किया हुआ टाइगर स्टोन गले में लॉकेट के रूप में सफेद धागे में धारण करे ।
  • जिन व्यक्तियों को नोकरी में समस्या आ रही या कार्यस्थल में परेशानी हो रही हो तो रविवार को सूर्य की होरा में टाइगर स्टोन धारण करने से लाभ होगा ।
  • जिन व्यकितयों के सन्तान होती है मर जाती है या बार - बार आबर्शन हो जाता है तब ऐसी सिथति में दोनो पति-पत्नी बराबर वजन का टाइगर रत्न प्राण प्रतिष्ठा करवा कर शुक्ल पक्ष में जब स्त्री मासिक धर्म में हो तब धारण करे तुरंत लाभ होगा ।
  • जिस घर में लड़ाई - झगड़ा अधिक होता हो , सुख शांति न हो , छोटी - छोटी बातों पर क्लेश हो जाता  तो उस परिवार का मुखिया टाइगर रत्न सोमवार के दिन चंद्र की होरा में आम के पत्ते के रस का अभिषेक करवा कर धारण करे । टाइगर रत्न सिद्ध व प्राण प्रतिष्टित होना चाहिये ।
  • शत्रुओं से परेशान व्यकित मंगलवार के दिन मंगल की होरा में टाइगर स्टोन धारण करे ।




टाइगर आई (बाघमणि) रत्न कस अन्य नाम : इसे बाघमणि, व्याघ्राक्ष, चित्ती, चीता, टाइगर, टाइगर-आइ, दरियाई-लहसुनिया आदि अनेक नामों से जाना जाता है। 

जानिए सोया ग्रह/धारण करने का वार/धारण करने की उंगली


·         सूर्य ग्रह/रविवार के दिन/अनामिका उंगली में।
·        चंद्रमा/सोमवार के दिन/अनामिका उंगली में।
·        मंगल ग्रह/मंगलवार के दिन/तर्जनी उंगली में।
·        बुध ग्रह/बुधवार के दिन/कनिष्ठा उंगली में।
·         गुरु ग्रह/वीरवार के दिन/तर्जनी उंगली में।
·         शुक्र ग्रह/शुक्रवार के दिन/गले में धारण करें।
·        शनि ग्रह/शनिवार के दिन/मध्यमा उंगली में।
·        राहू ग्रह/बुधवार के दिन/दाएं हाथ में।
·         केतु ग्रह/बुधवार के दिन/बाएं हाथ में।


धारण विधि: 
सामान्य तौर पर रत्न को मंगलवार एवं गुरुवार को गंगाजल एवं कच्चे दूध में डुबोकर सुबह सूर्योदय के बाद धारण करने की सलाह दी जाती है





Friday, January 11, 2019

Celebrities Gemstones, 7 Celebrities Who Wear Gemstones for Good Luck Gemstones




You need to be really lucky and talented to be as successful as some of the A-list Bollywood celebrities.
 Ever wondered how these celebrities got so lucky? Some were born into influential families of Bollywood while the rest went through various phases of struggle to reach the top. But if you notice, there’s one thing that’s common with these celebrities and it is their love for gemstones.

Wednesday, January 9, 2019

श्री अन्नपूर्णा चालीसा

श्री अन्नपूर्णा चालीसा



विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय । 
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।




नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।
काशी पुराधीश्वरी माता, माहेश्वरी सकल जग त्राता ।
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी, विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ।
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि, पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा, योग अग्नि तब बदन जरावा ।
देह तजत शिव चरण सनेहू, राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो, अति आनंद भवन मँह छायो ।
नारद ने तब तोहिं भरमायहु, ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये, देवराज आदिक कहि गाये ।
सब देवन को सुजस बखानी, मति पलटन की मन मँह ठानी ।
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या, कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ।
निज कौ तब नारद घबराये, तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ, संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।
गगनगिरा सुनि टरी न टारे, ब्रहां तब तुव पास पधारे ।
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा, देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी, कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों, है सौगंध नहीं छल तोसों ।
करत वेद विद ब्रहमा जानहु, वचन मोर यह सांचा मानहु ।
तजि संकोच कहहु निज इच्छा, देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी, मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।
बोली तुम का कहहु विधाता, तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों, कहवावा चाहहु का मोंसों ।
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा, शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये, कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ, फल कामना संशयो गयऊ ।
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा, तब आनन महँ करत निवासा ।
माला पुस्तक अंकुश सोहै, कर मँह अपर पाश मन मोहै ।
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे, अज अनवघ अनंत पूर्णे ।
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ, भव विभूति आनंद भरी माँ ।
कमल विलोचन विलसित भाले, देवि कालिके चण्डि कराले ।
तुम कैलास मांहि है गिरिजा, विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी, मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।
विलसी सब मँह सर्व सरुपा, सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।
प्रात समय जो जन मन लायो, पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ।
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत, परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।
राज विमुख को राज दिवावै, जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।
पाठ महा मुद मंगल दाता, भक्त मनोवांछित निधि पाता ।


जो यह चालीसा सुभग, पढ़ि नावैंगे माथ । 
तिनके कारज सिद्ध सब साखी काशी नाथ ॥
॥ इति श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥

श्री गणेश चालीसा हिंदी में Shree Ganesh Chalisa

श्री गणेश चालीसा हिंदी में
Shree Ganesh Chalisa

              जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल, विघ्न हरण मंगल करण।



जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चंवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥ 

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुं कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥



श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धरी ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्वत् अयन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥ 


लहसुनिया रत्न | Lehsunia Stone

 Cat Eye gemstone benefits in hindi – लहसुनिया केतु का रत्‍न है जो कि बेहद चमकीला होता है।


लहसुनिया का हर राशि पर प्रभाव
लहसुनिया हर राशि पर अलग-अलग प्रकार से कार्य करता है। 
मेष- यदि इस राशि के जातकों की कुंडली में केतु पांचवें, छठे, नौवें या बारहवें भाव में है तो उन लोगों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। यह पत्थर विशेष रूप से तब पहनना चाहिए, जब केतु जन्म कुंडली में एक निर्णायक स्थिति में हो। रत्न की उपयुक्तता का परीक्षण करने के लिए उसका कम से कम तीन दिन तक परीक्षण ज़रूर करें।

वृषभ- यदि केतु आपकी कुंडली में नवम या एकादश भाव में स्थित हो तो इस राशि के जातकों को लहसुनिया ज़रूर पहनना चाहिए। आपको भी यह रत्न तीन दिन पहन कर ज़रूर देखना चाहिए।

मिथुन- इस राशि के जातकों को लहसुनिया तब ही पहनना चाहिए जबकि केतु नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो। आपको भी इस रत्न को पहनने के लिए तीन दिन का प्रशिक्षण ज़रूर करना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु छठे, नौवें या ग्यारहवें भाव में स्थित है तो आप भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। शुरू में इस रत्न को तीन दिन पहनकर ज़रूर देखें।


सिंह- यदि आपकी कुंडली में केतु अष्टम, नवम व एकादश भाव या फिर किसी संदिग्ध स्थिति में है तो 

आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। रत्न का असर जानने के लिए तीन दिन का ट्रायल ज़रूर करें और तभी जारी रखें जबकि प्रभाव शुभ हो।





कन्या- कन्या राशि के जातक जिनकी जन्म कुंडली में केतु चतुर्थ, नवम व तृतीय भाव में स्थित है, या फिर केतु हावी है तो वो लोग लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन रत्न को पूरी तरह से अपनाने से पहले तीन दिन पहन कर उसके प्रभाव पर नज़र डालें।


तुला- जब केतु कुंडली में द्वितीय, तृतीय या फिर एकादश भाव में हो या हावी हो, ऐसी स्थिति में इस राशि के जातकों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन का ट्रायल अवश्य करें।


वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक केवल तब ही लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं, जब आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में हो या फिर हावी हो। शुरू में तीन दिन इस रत्न का परीक्षण ज़रूरी है।


धनु- केतु के संदिग्ध या द्वितीय, चतुर्थ, नवम या द्वादश भाव में स्थित होने पर धनु राशि के जातक इस रत्न को धारण कर सकते हैं। आपके लिए भी तीन दिन का ट्रायल आवश्यक है।



मकर- मकर राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु दूसरे, चौथे, नौवें या बारहवें भाव में है या फिर किसी प्रभावित स्थान पर है तो आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन तक रत्न के प्रभाव को ज़रूर देखना चाहिए।
कुंभ- आपकी कुंडली में यदि केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में स्थित हो या फिर मज़बूत हो तो आपको लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। रत्न धारण करने से पहले तीन दिन का परीक्षण ज़रूर कर लें।
मीन-आप इस रत्न को केवल तब ही धारण कर सकते हैं जबकि आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, नवम या दशम भाव में स्थित हो या फिर कुंडली में हावी हो। शुरू में तीन दिन तक ट्रायल करें, यदि उसका प्रभाव अच्छा दिखें, तब ही केवल उसे पहने रखें।






Tuesday, September 4, 2018

भाग्य रेखा:आय के दो तरीके




हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हथेली पर पाए जाने वाले चिन्हों व रेखाओं से जीवन में धन लाभ कब होगा व कितना होगा, ... साथ ही भाग्य रेखा पर किसी प्रकार के अशुभ निशान न हो तो व्यवसाय में सफलता मिलने की ओर संकेत करता है। ... हथेली में शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के पास आकर दो या इससे अधिक रेखाएं आकर ठहरती हैं, तो अनेक तरफ से धन और सुख ... जीवन रेखा सही तरीके से घुमावदार हो।