हनुमान चालीसा-OFFLINE
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का भय है तो रात को सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान चालीसा का एक दोहा है 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे। इस दोहे के अनुसार जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं।
हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास की काव्य रचना है। कहा जाता है कि नियमित रूप से इसका जाप करने से जीवन की बाधाएं और बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं। यदि आप रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर पाते तो प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन इसका पाठ जरूर करें। हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। ऐसी मान्यता है कि कलियुग में एक मात्र हनुमान जी ही जीवित देवता हैं। ये अपने भक्तों और आराधकों पर सदैव कृपालु रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में कई तरह के चमत्कारी बदलाव देखने को मिलेंगे। चलिए जानते हैं हनुमान चालीसा का पाठ करने से कौन से फायदे मिलते हैं.
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभू मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
सियावर रामचंद्र की जय
पवनसुत हनुमान की जय
उमापती महादेव की जय
बोलो भइ सब संतन की जय
आर्थिक संकट से आपको मुक्ति पाने के लिए नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को अष्टसिद्धि और नवनिधि का दाता माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उसकी हर मनोकामना हनुमान जी पूरी करते हैं चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो।
छात्रों को नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि छात्रों को हनुमान चालीसा का पाठ करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है। हनुमान चालीसा के अनुसार 'विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।' यानी हनुमान जी स्वयं बुद्धिमान, गुणी और चतुर हैं। इसीलिए छात्रों को इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।