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Wednesday, March 13, 2024

खरमास क्यों लगता है

 

खरमास क्यों लगता है



सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है. वे 12 राशियों में क्रमवार गोचर करते हैं, उसका शुभ और अशुभ प्रभाव लोगों पर पड़ता है. सूर्य जब देव गुरु बृहस्पति की राशियों मीन और धनु में प्रवेश करते हैं तो उस समय खरमास लग जाता है. यह खरमास अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च-अप्रैल और दिसंबर-जनवरी के बीच लगता है.



खरमास क्यों लगता है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव जब देव गुरु बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं तो उनका तेज कम हो जाता है. इस वजह से लोग इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. हालांकि यह भी तर्क दिया जाता है ​कि सूर्य देव अपने गुरु की सेवा करने लगते हैं और वे किसी मांगलिक कार्य में उपस्थित नहीं होते हैं. मांगलिक कार्यों में नवग्रहों की पूजा होती है, उनके लिए हवन करते हैं. जब ग्रहों के राजा सूर्य ही उपस्थित नहीं होंगे तो मांगलिक कार्य कैसे होंगे. इस वजह से जब भी सूर्य देव बृहस्पति की राशियों मीन और धनु में आते हैं तो खरमास लग जाता है.



धनु राशि में प्रवेश करते हैं सूर्य

ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो वो अपने गुरु की सेवा में लग जाते हैं और उनका प्रभाव कम हो जाता है. इसी कारण इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं होता है. मान्यता ये भी है कि खरमास के दौरान गुरु का बल भी कमजोर हो जाता है और शुभ कार्य के वक्‍त सूर्य और गुरु दोनों का ही शुभ स्थिति में होना जरूरी है


खरमास के दौरान ज्योतिषीय प्रभाव:

  • बीमारियों में वृद्धि: ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, इस दौरान बीमारियां और रोग बढ़ सकते हैं।
  • मन में चंचलता: लोगों के मन में अस्थिरता और अनिर्णय की स्थिति रह सकती है।

खरमास में वर्जित कार्य:

  • विवाह: हिंदू धर्म में खरमास के दौरान विवाह संस्कार करना अशुभ माना जाता है।
  • शुभ कार्य: गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य इस अवधि में करने से बचना चाहिए।
  • नया कार्य आरंभ करना: नया व्यापार शुरू करना या कोई नया काम आरंभ करना भी इस दौरान ठीक नहीं माना जाता है।

खरमास में किए जाने वाले कार्य:

  • नियमित कार्य: अगर आप पहले से कोई कार्य कर रहे हैं तो उसे जारी रखने में कोई दिक्कत नहीं है।
  • देव पूजा और पाठ: मंत्र जप, दान और ईश्वर का स्मरण करना इस दौरान शुभ माना जाता है।
  • संतान संबंधी संस्कार: सीमंत, जन्म के बाद होने वाले जातकर्म और अन्नप्राशन संस्कार जैसे कार्य किए जा सकते हैं।
  • विशेष परिस्थिति: प्रेम विवाह या स्वयंवर जैसे कुछ विशेष मामलों में विवाह किया जा सकता है।

ये कार्य रहेंगे वर्जित

  • खरमास की अवधि को शुभ समय नहीं माना गया है। यही वजह है कि खरमास के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
  • खरमास में शादी न करने की सलाह दी जाती है।
  • इसके अलावा खरमास में कोई संपत्ति खरीदना, घर खरीदना और नया कारोबार शुरू नहीं करना चाहिए।
  • इस दौरान गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • इस माह में लोगों को नया वाहन नहीं खरीदना चाहिए।
  • खरमास के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • खरमास में सूर्य देव की पूजा के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

सूर्य पूजा मंत्र

  • ॐ सूर्याय नम:
  • ॐ घृणि सूर्याय नम:
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ

खरमास के उपाय:

  • सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना, जैसे:
    • ॐ सूर्याय नमः
    • ॐ घृणि सूर्याय नमः
  • भगवान विष्णु की उपासना करना भी लाभकारी माना जाता है।

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