Upachaya Bhava/Upachaya Sthana-उपचय भाव
जन्म कुंडली के 3,6,10,11 भाव को उपचय स्थान कहते हैं। उपचय स्थान – संस्कृत शब्द उपचय से लिया गया है जिसका अर्थ है वृद्धि करना या समय के साथ बढ़ना।उपचय भाव में बैठे हुए ग्रह समय के साथ वृद्धि करते हैं या बढ़ते हैं
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली को 12 भावों में विभाजित किया गया है। इन 12 भावों में से कुछ भावों को विशेष महत्व दिया जाता है, जिन्हें उपचय भाव कहा जाता है। ये भाव हैं:
- तीसरा भाव (Third House): यह भाव साहस, पराक्रम, छोटी यात्राएं, भाई-बहन, संचार कौशल आदि का प्रतिनिधित्व करता है।
- छठा भाव (Sixth House): यह भाव रोग, शत्रु, ऋण, रोग, कर्मचारी आदि का प्रतिनिधित्व करता है। षष्टम भाव अर्थ त्रिकोण का दूसरा त्रिकोण है । जहां प्रतिस्पर्धा भी है , लडाई –झगडा भी है, शत्रु भी है । कहने का अर्थ यह है कि षष्टम भाव तथा षष्ठेश भी धन से सम्बंध रखता है परंतु लडाई झगडे से प्राप्त धन, लोन या ऋण से प्राप्त धन । शायद इसी कारण इसके कारक ग्रह मंगल अर्थात लडाई –झगडा व शनि अर्थात कोर्ट –
कचहरी है । यदि षष्टम भाव / षष्ठेश का सम्बंध दशम भाव / दशमेश से हो जाये तो जातक दूसरों के लडाई-
झगडे से फायदा उठाता है क्योकि छटा भाव दशम भाव से नवम है तथा दशम भाव छटे भाव से पंचम भाव है। - दसवां भाव (Tenth House): यह भाव कर्म, करियर, पिता, पद, प्रतिष्ठा आदि का प्रतिनिधित्व करता है। त्रिषडाय भाव में यदि दशम भाव भी जोड दिया जाये तो यह उपचय भाव बन जाता है । दशम भाव जातक का कर्म स्थान होता है । इससे हम नौकरी / व्यवसाय, उच्च पद, अधिकार आदि देखते हैं । त्रिषडाय भाव में दशम भाव जुडने से अब यह उतना अशुभ नहीं रह जाता । इसमें जातक का पुरूषार्थ जुड गया । यदि किसी जातक की जन्म कुंड्ली में उपचय भावों अर्थात तृतीय भाव,षष्टम भाव , दशम भाव तथा एकादश भाव का सम्बंध आ जाता है तो ऐसा जातक “ फर्श से अर्श तक ” पहुंच जाता है । वह ना खुद आराम से बैठता है और ना ही किसी को बैठने देता है । जातक जब अपने संघर्ष में , प्रतिस्पर्धा मे अपने कर्मों को साहसपूर्ण व ऊर्जापूर्ण रूप से जोडता है तो उसको श्रेष्ठ की प्राप्ति होती है ।
- ग्यारहवां भाव (Eleventh House): यह भाव लाभ, आय, मित्र, इच्छाएं, आशाएं आदि का प्रतिनिधित्व करता है। एकादश भाव काम त्रिकोण का अंतिम त्रिकोण भाव है । अत: इस भाव में इच्छायें हैं मनोकामनायें हैं। इस त्रिकोण
के साथ जिस भी त्रिकोण अर्थात धर्म ,अर्थ , काम या मोक्ष का सम्बंध बनता है उससे सम्बंधित लाभ , हानि,
इच्छापूर्ति होती है । इसलिये इस अंतिम काम त्रिकोण मे सभी ग्रह प्राप्ति तक पहुचाते हैं ।
उपचय भाव यह दर्शाते हैं कि हम जीवन में पराक्रम ,संघर्ष और कर्म को करते हुए लाभ को प्राप्त कर कर सकते हैं।
उपचय भाव में बैठे ग्रह समय के साथ बढ़ते है अर्थात ये ग्रह किसी व्यक्ति को प्रयास करने के लिए कहते हैं। जब व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है तो वह जीवन में विशेष उपलब्धि हासिल कर सकता है।
उपचय भाव में क्रूर ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं क्योंकि यह ग्रह व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने की शक्ति प्रदान करते हैं। तीसरे व छठे भाव में क्रूर ग्रह अच्छे होते है। दशम व एकादश भाव में शुभ ग्रह भी अच्छे परिणाम देते हैं।
Third House-तीसरा भाव
तीसरे भाव को पराक्रम का भाव भी कहा जाता है। यह जन्म कुंडली का अत्यंत महत्वपूर्ण भाव है क्योंकि यह भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितना प्रयास करेगा। तीसरा भाव व्यक्ति के कौशल(skills), सम्प्रेषण क्षमता (communication skills) का भी होता है।
तीसरे भाव में क्रूर ग्रह- राहु, शनि, सूर्य, मंगल अच्छे माने जाते हैं क्योंकि यह व्यक्ति को संघर्ष और प्रयास करने की शक्ति देते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने प्रयास और परिश्रम के द्वारा स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करते हैं क्योंकि तीसरे भाव में यदि कोई ग्रह होगा तो उसकी सप्तम दृष्टि नवम भाव (भाग्य स्थान ) पर होगी।
वही यदि तीसरे भाव में शुभ ग्रह जैसे -चन्द्रमा, बृहस्पति, शुक्र हो तो व्यक्ति को कम प्रयास में सफलता हासिल हो जाती है।For personal Consultation Download:
उपचय भावों का महत्व:
- बलवान होते हैं: उपचय भावों में स्थित ग्रहों की शक्ति बढ़ जाती है।
- शुभ फल देते हैं: इन भावों में स्थित शुभ ग्रह शुभ फल देते हैं और अशुभ ग्रह भी कम हानिकारक होते हैं।
- प्रगति और सफलता: इन भावों की मजबूती व्यक्ति की प्रगति और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- जीवन में सुख-समृद्धि: इन भावों के शुभ होने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
उपाय:
- उपचय भावों के स्वामी ग्रहों को मजबूत करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।
- इन भावों में स्थित ग्रहों की शांति के लिए मंत्र जाप, पूजा-पाठ आदि किया जा सकता है।
- दान-पुण्य करने से भी इन भावों की शक्ति बढ़ती है।
निष्कर्ष:
उपचय भावों की मजबूती व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन भावों को मजबूत करने के लिए उपाय करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि और संतुष्टि प्राप्त होती है।